हवाई हमलों से भारत ने किया था 1965 पाक युद्ध का आगाज
औपचारिक रूप से भारत-पाक के बीच जब 22 सितंबर को युद्ध विराम की घोषणा हुई तब तक भारतीय सेना अपनी चौकियों पर काबिज हो चुकी थी।
लखनऊ (निशांत यादव)। 1965 में पाकिस्तान की योजना 14 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत पर हमला करने की थी लेकिन उसने चार अगस्त को ही बमबारी कर दी। अखनूर सेक्टर में पाकिस्तानी टैंकों का पहला सामना फैजाबाद निवासी और 15 कुमाऊं के हवलदार देवी प्रकाश सिंह से हुआ। देवी प्रकाश सिंह ने बहादुरी के साथ पाकिस्तानी सेना के टैंकों पर हमला बोला और इसकी सूचना आला अधिकारियों को दी। लंबे मंथन के बाद एक सितंबर, 1965 को भारत ने औपचारिक रूप से हमले की शुरुआत की। हवाई हमले की शुरुआत लखनऊ के लामार्टीनियर कॉलेज से पढ़े एंग्लो इंडियन भाई ट्रेवर व डेंजिल कीलर ब्रदर्स ने छोटे से नेट विमान से कर दी। औपचारिक रूप से जब 22 सितंबर को युद्ध विराम की घोषणा हुई तब तक भारतीय सेना अपनी चौकियों पर काबिज हो चुकी थी।
इस लड़ाई में लखनऊ के चार जांबाज शहीद हुए थे जबकि वीरता दिखाने वाले तीन शूरवीरों को वीर चक्र मिला था। युद्ध को हुए 51 साल हो गए हैं, लेकिन उसकी यादें अब भी वीर चक्र से सम्मानित मेजर डीएन सिंह (अवकाशप्राप्त) के जेहन में ताजा हैं। मेजर बताते हैं कि पाकिस्तानी हमले में अखनूर के ब्रिगेड कमांडर ब्रिगेडियर बीएफ मास्टर्स और उनके साथ एक इंटेलिजेंस अधिकारी शहीद हो गए थे। वह तीन कुमाऊं रेजीमेंट की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर 18 सितंबर, 1965 को केरी पर काबिज होने के लिए पाकिस्तानियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान कंपनी दुश्मनों की बिछाई एक बारूदी सुरंग में फंस गई। बारूदी सुरंग का विस्फोट होने पर उनका एक पैर उड़ गया। घायल होने के बावजूद मेजर ने हौसला नहीं हारा और एक सैनिक से हल्की मशीनगन लेकर बंकर से फायङ्क्षरग कर रहे दुश्मनों पर टूट पड़े। भारतीय सेना ने एक बार फिर अपनी चौकी पर कब्जा कर लिया।
पुलिस बलों ने संभाला था मोर्चा
उस समय सीमा पर मोर्चा लेने के लिए पंजाब और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों की पुलिस बल के जवान और पीएसी के जवान भी तैनात थे। कश्मीर को बचाने और दुश्मनों को हराने के लिए श्री टॉस्क फोर्स का गठन किया गया था।
सेना में तीसरी पीढ़ी
मेजर डीएन सिंह के बाद उनकी तीसरी पीढ़ी भी सेना की गौरवशाली परंपरा में शामिल होकर देश की रक्षा कर रही है। मेजर डीएन सिंह के दो पुत्र ब्रिगेडियर वीपी सिंह कौशिक और ब्रिगेडियर जयप्रताप सिंह अभी भी वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के रूप में देश की रक्षा कर रहे हैं। वहीं उनके नाती दिग्विजय सिंह इसी साल जेंटलमैन कैडेट से सैन्य अधिकारी बन गए हैं। उनको मेजर डीएन सिंह की तीन कुमाऊं यूनिट में ही कमीशन मिली है।
आज भी निशां
युद्ध का कुशल नेतृत्व करने वाले ट्रेवर कीलर और डेंजिल कीलर को वीर चक्र प्रदान किया गया था। ट्रेवर कीलर विंग कमांडर के पद से तो डेंजिल कीलर एयर मार्शल के पद से सेवानिवृत्त हुए। ट्रेवर कीलर ने जिस नेट विमान से पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों को मार गिराया था उसे लामार्टीनियर कॉलेज परिसर में पिछले साल एक समारोह के दौरान प्रदर्शित किया गया था।