सरकारी अस्पतालों में लगेगा बायोमैट्रिक सिस्टम : शंखलाल
उत्तर प्रदेश सरकार अब सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में हैं। इनमें चिकित्सक भी शामिल हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों पर बायोमैट्रिक सिस्टम लगाया जाएगा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अब सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में हैं। इनमें चिकित्सक भी शामिल हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों पर बायोमैट्रिक सिस्टम लगाया जाएगा।
प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री शंखलाल मांझी ने आजमगढ़ में इसकी जानकारी दी। मांझी ने कहा कि इस सिस्टम के लगने के बाद से सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों के लेट आनी की शिकायतों पर विराम लग जाएगा। पूरे प्रदेश में तमाम शिकायतें आ रही हैं कि डाक्टर समय से ड्यूटी पर नहीं आता है। इस शिकायत को देखते हुए सरकार ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है।
शंखलाल मांझी ने कहा कि सपा मुखिया ने किसी जाति-विरादरी के लिए काम नहीं किया है बल्कि सर्वसमाज के लिए काम किया है। आज उसी का परिणाम है कि पूरे प्रदेश में समाजवादी एम्बुलेंस सेवा सफल साबित हो रही है। एम्बुलेंस में तैनात स्वास्थ्यकर्मी यह नहीं पूछता है कि मरीज किस जाति-विरादरी का है। आज इस सेवा के शुरू हुए लगभग एक साल हो चुके हैं और केन्द्र सरकार को इतना तल्खी हुई कि उसके केन्द्रांश का खर्च देने से इंकार कर दिया। केन्द्र सरकार के असहयोग के बाद भी अपने दम पर प्रदेश सरकार यह व्यवस्था बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र के बिना सहयोग के सपा सरकार पांच सौ नये एम्बुलेंस अपने बजट से खरीदने जा रही है। उन्होंने दावा किया कि विश्व में इतनी बड़ी एम्बुलेंस सेवा आज तक नहीं चली हैं। मांझी ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में दवाओं की खरीददारी के नाम पर करोड़ों रुपया का घपला हुआ। पूरा स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था।
सपा सरकार ने आते ही प्रदेश के हर सीएमओ को परचेजिंग करने का अधिकार दिया तथा दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की। सरकार ने पैथालाजी व एक्सरे को निशुल्क कर दिया। हालात यह हुई कि तीन गुना से अधिक डिमांड बढ़ गई। उन्होंने कहा कि 65 सालों में अन्य उप्र की सरकारों ने 7000 बेड की व्यवस्था की थी। सपा ने तीन साल के कार्यकाल में दस हजार नये शैय्यायुक्त अस्पताल की व्यवस्था करने जा रही है। इसमें पांच हजार से अधिक बेड कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में 16000 डाक्टरों का पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष प्रदेश में केवल 12000 ही डाक्टर तैनात हैं। सपा बनने के बाद वर्ष 2012 में 5500 चिकित्सकों की मांग आयोग से की गई थी। इसमें 80 फीसद डाक्टरों की कमी को पूरा किया गया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 500 नए डाक्टरों की सीटों को भी बढ़ोत्तरी कर दी है ताकि स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर आ जाए। जिला अस्पताल में डाक्टरों के बाहर से दवा लिखने की शिकायत पर उन्होंने सीएमओ कालीप्रसाद मिश्रा को निर्देशित किया कि अस्पताल के अंदर की दवा लिखी जाए। अगर कोई भी डाक्टर बाहर से दवा लिखता है तो उसके खिलाफ लिखित शिकायत पर पूरा व्यौरा उनके पास भेजा जाए। ऐसे डाक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई होगी।