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Mathura Clash : पर्सनल डायरी में रामवृक्ष के मददगारों के राज

मथुरा के जवाहर बाग में कथित सत्याग्रहियों के नेता रामवृक्ष की पर्सनल डायरी में उसका पूरा लेखा-जोखा था। उसके मददगारों और उत्तराधिकारियों के बहुत से राज इसमें छिपे है परंतु इसका पता नहीं चल रहा है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 05 Jun 2016 10:30 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jun 2016 10:37 PM (IST)

लखनऊ (जेएनएन)। मथुरा के जवाहर बाग में कथित सत्याग्रहियों के नेता रामवृक्ष की पर्सनल डायरी में उसका पूरा लेखा-जोखा था। उसके मददगारों और उत्तराधिकारियों के बहुत से राज इसमें छिपे है परंतु इसका पता नहीं चल रहा है। पुलिस और खुफिया एजेंसियां किसी भी तरह इस डायरी तक पहुंचना चाहती है। दरअसल पुलिस की सबसे बड़ी चिंता उन दो हजार सत्याग्रहियों को लेकर जो आपरेशन जवाहर बाग के बाद पता नहीं कहा गायब हो गए। आपरेशन के समय यहां करीब ढाई-तीन हजार लोग थे। इनमें करीब 25 मारे गए। चार सौ पकड़े गए और चालीस सत्याग्रही घायल हो गए थे।

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जवाहर बाग ऑपरेशन में रामवृक्ष यादव मारा गया, जबकि उसके सैकड़ों समर्थक गिरफ्तार कर लिए गए। पुलिस पूछताछ में एक नजदीकी समर्थक ने कई महत्वपूर्ण राज खोले हैं। सूत्रों के अनुसार रामवृक्ष यह नहीं चाहता था कि उसके मरने के बाद उत्तराधिकारी को लेकर किसी तरह का विवाद हो। इससे बचने के लिए उसने समर्थकों को पहले ही बता दिया था कि उत्तराधिकारी का नाम अपनी डायरी में लिख दिया है, जिसे उसकी मौत के बाद ही समर्थक डायरी से जान सकेंगे। समर्थक के मुताबिक रामवृक्ष अपनी महत्वपूर्ण बातें इसी नीली डायरी में लिखता था। जिसके बारे में उसके खास कमांडर ही जानते थे। उसके मददगारों के नाम भी इसी डायरी में लिखे हैं, जो जवाहर बाग में डेरा डाले लोगों की आर्थिक मदद कर रहे थे, लेकिन किसी से वह इनकी पहचान और रिश्ते उजागर नहीं करता था। घायल समर्थकों के मुताबिक पकड़े जाने के डर से रामवृक्ष समेत आसपास की सभी झोपडिय़ों में आग लगा दी थी, जिससे कि पुलिस के हाथ रामवृक्ष के खिलाफ कोई सबूत हाथ नहीं लग सके। यह डायरी जल गई या किसी समर्थक के हाथ लग गई है। पुलिस और खुफिया एजेंसियां नीली डायरी को खोज रही हैं।

शिनाख्त के बाद भी नहीं आए शव लेने

ऑपरेशन जवाहर बाग में फायरिंग और आगजनी में 25 कथित सत्याग्रहियों की मौत हो गई थी। इनमें जवाहरबाग का मास्टर माइंड और कथित सत्याग्रहियों का मुखिया रामवृक्ष यादव भी शामिल है। जिला कारागार में निरुद्ध कथित सत्याग्रहियों ने अपने दस साथियों की शिनाख्त की है, जबकि बाकी मृतकों की शिनाख्त नहीं हो सकी है। सीओ सिटी चक्रपणि त्रिपाठी ने बताया कि बाकी लोगों की पहचान कराने के लिए गिरफ्तार कर जेल भेजे गए आरोपियों से पूछताछ की, लेकिन वे पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। जिनकी शिनाख्त हो गई है, उनके शव लेने भी कोई दावेदार सामने नहीं आया है। सोमवार को सुबह पांच बजे से अज्ञात शवों के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और इसके बाद उनका अंतिम संस्कार करा दिया जाएगा।

कहां छिपे कथित सत्याग्रही?

ऑपरेशन जवाहर बाग से पहले परिसर में करीब ढाई-तीन हजार लोग मौजूद थे। इनमें से करीब चार सौ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था, जबकि चालीस से अधिक कथित सत्याग्रही घायल हो गए थे। हिरासत में लिए गए लोग दूसरे दिन तड़के ही अस्थाई जेल से भाग गए थे, जबकि घायल अस्पतालों से चुपके से खिसक गए। शेष लोग कहां जाकर छिप गए, इसका कोई पता अभी तक नहीं चल सका है। माना यह जा रहा है कि परिवार के साथ यहां बंधक बनकर रह रहे लोग अपने ठिकानों के लिए उसी रात ट्रेनों से निकल गए थे। कुछ लोगों ऐसे भी हैं, जिनके पास आने-जाने के लिए किराए के लिए धनराशि तक नहीं थी। न खाने के लिए कोई इंतजाम थे, फिर इन्होंने कहां शरण ले रखी है। इसकी जानकारी पुलिस को नहीं मिल पा रही है। इधर, कथित सत्याग्रहियों को जिले में छिपे होने की आशंका से अन्य लोगों को भी शक की नजरों से देखा जा रहा है।


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