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अमित शाह के लखनऊ पहुंचते ही अखिलेश यादव को झटके

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लखनऊ एयरपोर्ट पर लैंड करते ही समाजवादी पार्टी में विस्फोट हो गया। पार्टी के तीन विधान परिषद सदस्यों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 29 Jul 2017 12:28 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jul 2017 05:02 PM (IST)
अमित शाह के लखनऊ पहुंचते ही अखिलेश यादव को झटके
अमित शाह के लखनऊ पहुंचते ही अखिलेश यादव को झटके

लखनऊ (जेएनएन)। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिवसीय लखनऊ दौरे पर अमौसी एयरपोर्ट पर पहुंचते ही समाजवादी पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। समाजवादी पार्टी के दो विधान परिषद सदस्यों ने आज अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 

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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आज से लखनऊ के तीन दिन के दौरे पर हैं। उनके लखनऊ एयरपोर्ट पर लैंड करते ही समाजवादी पार्टी में विस्फोट हो गया। पार्टी के दो विधान परिषद सदस्यों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। प्रदेश में सरकार गंवाने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को यह झटके उस समय लगे हैं जब वह अपनी पार्टी के संगठन कायाकल्प करने के प्रयास में लगे हैं। समाजवादी पार्टी से आज विधान परिषद सदस्य बुक्कल नवाब के साथ ही यशवंत सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा विधान परिषद के सभापति रमेश यादव के पास पहुंचा है। 

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की लखनऊ में तीन दिन की मौजूदगी के दौरान माना जा रहा है कि इन दो के साथ ही एक और एमएलसी तथा तीन विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाएंगे। इन सभी नेताओं के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हैं। बुक्कल नवाब के भाजपा में शामिल होने की अटकलें हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में वह आज शाम तक ही बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। 

बुक्कल नवाब तथा यशवंत सिंह के इस्तीफा देने के कारण विधान परिषद में समाजवादी पार्टी का संख्याबल अब कम होगा। इनके साथ ही विधान परिषद में जगह खाली होने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव और दिनेश शर्मा विधान परिषद के सदस्य के रूप में सदन में अपनी जगह बना सकते हैं। माना जा रहा है कि यशवंत सिंह ने सीएम के लिए सीट छोड़ी है। लंबे वक्त से बगावती तेवर अखतियार करने वाले बुक्कल नवाब ने डॉ. दिनेश शर्मा के लिए सीट छोड़ी है।

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विधान परिषद सदस्य बुक्कल नवाब 1992 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। वह 2004 तक महासचिव रहे। दो बार लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2012 में उन्हें एमएलसी चुना गया। 2016 में वह फिर से एमएलसी चुने गए। अभी उनका कार्यकाल 2022 तक है। 

यशवंत सिंह 1984 में पहली बार जनता पार्टी से मुबारकपुर से चुनाव लड़े, तब वह 250 वोटों से हार गए थे। इसके बाद आजमगढ़ के ही मुबारकपुर से 1989 में विधायक बने। 1991 में सपा के टिकट पर हार का सामना करना पड़ा। 1993 में निर्दलीय चुनाव लड़े। इसके बाद 1996 में बसपा में शामिल हो गए। बसपा के बाद समाजवादी पार्टी में शामिल होने पर 2004-2010 व 2016 में पार्टी से विधान परिषद सदस्य बने। यशवंत सिंह का कार्यकाल समाप्त होने में अभी भी आठ महीने का समय बचा हुआ है। 

यशवंत सिंह ने कहा कि जहां मनभेद हो, वहां से दूरी बनाना ही बेहतर है। समाजवादियों के आंदोलन की मशाल जलाने वालों की अब पार्टी के अंदर कोई कीमत नहीं है। यशवंत सिंह बहुत ही सुलझे नेता माने जाते हैं।

आज से तीन दिन तक लखनऊ में अमित शाह के प्रवास के दौरान अब इस बात की भी घोषणा हो जाएगी कि योगी और मौर्य कहां से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे या लड़ेंगे की नहीं। इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि केशव प्रसाद मौर्य को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इतना ही नहीं अफवाहों का बाजार भी गर्म है कि केशव मौर्य को केंद्र में भेजा जा सकता है। उम्मीद है 31 जुलाई के बाद स्थिति एकदम साफ हो जाएगी।

सही जवाब तो अखिलेश ही देंगे

समाजवादी पार्टी के तीन विधान परिषद सदस्यों के इस्तीफे पर जब स्वास्थ्य मंत्री तथा प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ही इस बात का सही जवाब दे पाएंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है। इसपर कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने ट्वीट किया धनादेश के बल पर सत्ता के कारोबारी के लखनऊ पहुंचते ही विधान परिषद सदस्यों की फरोख्त शुरू हो गई है।

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भाजपा भ्रष्टाचार में लिप्त

समाजवादी पार्टी से विधान परिषद सदस्य तथा अखिलेश यादव के बेहद करीबी सुनील सिंह यादव 'साजन' ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त है। बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक यह पार्टी सिर्फ खरीद फरोख्त का काम कर रही है। भारतीय जनता पार्टी के नेता जनता से डर रहे हैं इसलिए जनता के बीच नहीं जाना चाहते हैं। विधान परिषद सदस्यों से इस्तीफा दिलवाकर सदन पहुंचने की चाह इस बात की गवाही देती है कि कहीं ना कहीं भाजपा नेताओं के मन में जनता का भय व्याप्त है यही कारण है कि मंत्री जनता के बीच जाकर चुनाव नहीं लडऩा चाहते हैं।


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