साढ़े चार साल में अब तक डेढ़ दर्जन मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके हैं अखिलेश
मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी ने सूबे का सियासी ताप जरूर बढ़ा दिया है लेकिन, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में करीब 15 मंत्रियों पर बर्खास्तगी की तलवार चलायी है।
लखनऊ (जेएनएन)। ऐन चुनाव से पहले मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी ने सूबे का सियासी ताप जरूर बढ़ा दिया है लेकिन, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में करीब 15 मंत्रियों पर बर्खास्तगी की तलवार चलायी है।
सीएम अखिलेश यादव ने पहले भी चलाई बर्खास्तगी की तलवार
वर्ष 2013 में एक महिला आइएएस अधिकारी पर खादी ग्रामोद्योग मंत्री राजाराम पांडेय ने टिप्पणी की तो पूरे देश में इसकी निंदा शुरू हो गयी। मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लिया और पांडेय को बर्खास्त कर दिया। अखिलेश सरकार में पांडेय सबसे पहले बर्खास्त होने वाले मंत्री रहे। बाद में उनका निधन हो गया। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2014 में अदालती आरोपों से घिरे मंत्री मनोज पारस और सियासी दांव-पेंच के तहत कृषि मंत्री आनन्द सिंह को भी बर्खास्त किया।
CM अखिलेश की सटीक यार्कर, एक ओवर में झटके दो विकेट
अयोध्या से चुनाव जीते और मुख्यमंत्री के करीबी रहे पवन पांडेय की शिकायतें कुछ ज्यादा बढ़ गयीं तो उन पर भी बर्खास्तगी की तलवार चली। पांडेय पर अवैध खनन रोकने गये एक आइपीएस अधिकारी के साथ अभद्रता का आरोप लगा था। स्टांप तथा न्याय शुल्क पंजीयन व नागरिक सुरक्षा मंत्री महेन्द्र अरिदमन सिंह, पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अंबिका सिंह, वस्त्र उद्योग मंत्री शिवकुमार बेरिया, खेल मंत्री नारद राय, प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकांत ओझा, प्राविधिक शिक्षा राज्य मंत्री आलोक शाक्य और बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप के अलावा स्वतंत्र प्रभार के लघु उद्योग मंत्री भगवत शरण गंगवार को भी मुख्यमंत्री ने बर्खास्त किया।
मंत्रियों को बर्खास्त कर सीएम अखिलेश ने दिखाए तेवर
यह अलग बात है कि कई लोगों को फिर मौका भी मिला। हाल में मंत्री मनोज पांडेय को भी मुख्यमंत्री ने बर्खास्त कर दिया। सर्वाधिक सुर्खियों में माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव की बर्खास्तगी रही जिन्हें कुछ ही दिनों बाद दोबारा शपथ दिलाकर वही विभाग लौटा दिया गया। देखा जाए तो मुख्यमंत्री ने कई मंत्रियों से इस्तीफे भी लिए। कुंडा में सीओ जियाउल हक की हत्या के बाद रघुराज प्रताप सिंह या फिर गोंडा में अधिकारियों से अभद्र व्यवहार पर विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह का इस्तीफा भी मुख्यमंत्री के अनुकूल रहा। हालांकि इन दोनों की मंत्रिमंडल में वापसी हो गयी। अपने कार्यकाल में अखिलेश मुस्लिम मंत्रियों पर मेहरबान रहे। उन्होंने किसी मुसलमान मंत्री पर बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की।