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मंत्रियों को बर्खास्त कर सीएम अखिलेश ने दिखाए तेवर

अखिलेश किसी भी हाल में अवरोध स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी इसका एक नमूना है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 12 Sep 2016 04:24 PM (IST)Updated: Mon, 12 Sep 2016 04:34 PM (IST)
मंत्रियों को बर्खास्त कर सीएम अखिलेश ने दिखाए तेवर

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों की बर्खास्तगी को भले ही विपक्ष नाटक करार दे रहा है लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने देर से ही सही तेवर दिखाएं हैं। 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उनका यह फैसला कम से कम इस बात का संकेत है कि अब उनकी मर्जी भी चलने लगी है।

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प्रदेश में दोबारा सरकार में लौटने का मंसूबा पाले अखिलेश किसी भी हाल में अवरोध स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी इसका एक नमूना है।

गायत्री प्रजापति की बर्खास्तगी से भी सपा का भला नहीं होगा : योगी

प्रदेश की सत्ता में अपनी अहमियत और हैसियत के लिए खास पहचान रखने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति मुख्यमंत्री की नापसंदगी के बावजूद इतने अरसे से मंत्री बने हुए थे। वह सार्वजनिक स्थलों पर भी बेजा टिप्पणी करने से बाज नहीं आते थे और उनकी करतूत सुर्खियां बनती रही हैं। जाहिर है कि चुनाव से पहले उन्हें किनारे कर मुख्यमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।

गायत्री के बाद अखिलेश ने राजकिशोर सिंह को भी किया बर्खास्त

गायत्री के संरक्षणदाताओं के नाम भी छिपे नहीं हैं। यह नाम सत्ता के केन्द्र में भी चर्चा में रहे। इन सबको धता बताते हुए अगर बर्खास्तगी का फैसला लिया तो निसंदेह इसमें बड़ी रणनीति छिपी है। दूसरे मंत्री राजकिशोर की भी स्थिति कुछ ऐसी ही रही।

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विधान परिषद सदस्य के चुनाव और उसके पहले जिला पंचायत चुनाव में भी राजकिशोर ने अपने भाई के लिए जिस तरह सपा नेतृत्व पर दबाव बनाया और बदले में भाई के लिए पद और खुद के लिए एक महत्वपूर्ण मंत्रालय हासिल किया वह मुख्यमंत्री को नागवार लगा था। शिकायतें भी इनकी खूब हुई। चुनाव मैदान में जाने से पहले मुख्यमंत्री ने इन्हें किनारे करना ही श्रेयस्कर समझा।

बर्खास्त मंत्रियों के भविष्य पर सवालिया निशान

यूं तो समाजवादी पार्टी ने अभी यह साफ नहीं किया है कि गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह सपा में बने रहेंगे या नहीं लेकिन मुख्यमंत्री के तेवर से स्पष्ट हो गया है विधानसभा चुनाव में इन्हें वह शायद की मौका दें। अमेठी के विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति ने कांग्रेस सांसद डॉ. संजय सिंह की पत्नी पूर्व मंत्री अमीता सिंह को चुनाव हराकर पहली बार जीत हासिल की थी।

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इसके बाद उनका संजाल फैलता गया। राजकिशोर सिंह बस्ती के हरैया विधानसभा क्षेत्र से कई बार चुनाव जीते और अपनी सुविधा अनुसार दल भी बदलते रहे हैं। मुख्यमंत्री अगर दोनों बर्खास्तगी से साफ सुथरी छवि का संदेश देना चाहते हैं तो जाहिर है कि इनको उम्मीदवार बनाने से परहेज करेंगे। हालांकि समाजवादी पार्टी में फैसलों के ऊपर भी फैसलों की रवायत है इसलिए किसी भी तरह की गुंजायश से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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संभव है कि दोनों सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन ताजा परिस्थितियों पर गौर करें तो दोनों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। सूत्र का कहना है मुख्यमंत्री दोनों को सपा का उम्मीदवार बनाने के मूड में नहीं है। इन क्षेत्रों में साफ सुथरी छवि के उम्मीदवार को सपा को मौका देगी।


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