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तीन तलाक: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा कुरान के खिलाफ

प्रो. मो. शब्बीर ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक पर दिया हलफनामा कुरान के खिलाफ है। पाकिस्तान तक में तलाक व हलाला पर पाबंदी है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 10:18 PM (IST)
तीन तलाक: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा कुरान के खिलाफ

अलीगढ़ (जेएनएन)। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विधि विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रो. मोहम्मद शब्बीर ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में दिया गया हलफनामा कुरान के खिलाफ और गुमराह करने वाला है। बेहतर यह होता कि बोर्ड मुस्लिम देशों से सीख लेकर तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखता। पाकिस्तान तक में तलाक व हलाला पर पाबंदी है। 

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दिल्ली के कृष्ण मेनन भवन में फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी दिल्ली चैप्टर की कार्यशाला में विशेषज्ञों ने तीन तलाक, राम जन्मभूमि व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राय रखी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार की मौजूदगी में हुई कार्यशाला में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व सदस्य प्रो. शब्बीर ने तीन तलाक पर लंबा भाषण दिया। कहा कि शाफई, मालकी व हंबली स्कूल ऑफ थॉट में तीन तलाक मान्य नहीं है। शियाओं में भी तीन तलाक मान्य नहीं है। हनफी से मुक्ति का रास्ता इस्लाम है। दुनिया के 22 मुस्लिम देशों ने भी तीन तलाक को सिरे से खारिज कर दिया है।

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 पाकिस्तान में इसके लिए फैमिली ऑर्डिनेंस एक्ट-1961 पास हुआ, जिसके तहत तीन तलाक, हलाला पर पाबंदी लगाई गई। वहां कोर्ट के जरिए ही तलाक होता है। प्रो. शब्बीर ने कहा कि तीन तलाक सुन्नी स्कूल ऑफ थॉट में जायज है। इसे खत्म कराने के लिए बोर्ड कानून बनाने की पहल करता और एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखता तो बेहतर होता। ब्रिटिश शासन में भी रिज्युलेशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एक्ट-1939 और शरियत एप्लीकेशन एक्ट-1939 पास हुआ था। मौलाना अशरफ थामनी ने यह पहल की थी।


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