रामवृक्ष ने जयगुरुदेव की आड़ में पांच साल में बसाया 'नक्सल' साम्राज्य
सरकारी व्यवस्था के खिलाफ जहर उगलने वाले रामवृक्ष यादव का बड़ा साम्राज्य फैलाने का इरादा था। पांच साल में उसने हजारों समर्थक, दौलत और हथियारों की ताकत जुटा ली थी।
मथुरा [राजेश मिश्र] । सरकारी व्यवस्था के खिलाफ जहर उगलने वाले रामवृक्ष यादव का बड़ा साम्राज्य फैलाने का इरादा था। पांच साल में उसने हजारों समर्थक, दौलत और हथियारों की ताकत जुटा ली थी। खुद को जयगुरुदेव का समर्थक बताने वाले रामवृक्ष यादव की राजनैतिक क्षेत्र में भी अच्छी पैठ हो गई थी। दो साल तक जवाहर बाग में इसी ताकत और संबंध के बूते कोई टस से मस नहीं कर पाया था। यहां तक कि एक साल तो हाईकोर्ट के आदेश भी कुछ न कर सके। गाजीपुर जिले के मठिया गांव के कच्चे घर में रहने वाले रामवृक्ष यादव ने लोगों को महलों में रहने के सपने दिखाए। भारत की जिस मुद्रा को वो ब्रिटिश करेंसी बताकर सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठाता था, उसी मुद्रा के लिए उसने लोगों को चालाकी से अपने झांसे में भी फंसाया। वर्ष 2011 में रामवृक्ष यादव खुद को जय गुरुदेव का शिष्य बताता था।
एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल पर किया हमला
मथुरा दिल्ली हाईवे स्थित जयगुरुदेव पेट्रोल पंप पर करीब एक दर्जन वाहनों के काफिले के साथ आए रामवृक्ष यादव ने वाहनों के लिए एक रुपये में 40 लीटर पेट्रोल और एक रुपये में 60 लीटर डीजल मांगा था। इस बात को लेकर पेट्रोल पंप पर झगड़ा हुआ। रामवृक्ष ने अपने समर्थकों के साथ हथियारों और फरसों से हमला बोल दिया, जिसमें आश्रम का कर्मचारी रवि गंभीर रूप से घायल हुआ था। इसका मुकदमा दर्ज हुआ। बताते हैं इसी घटनाक्रम के बाद जय गुरुदेव ने रामवृक्ष यादव को अपने से अलग कर दिया। इसके बाद रामवृक्ष यादव ने अपना जाल फैलाना शुरु किया।
झांसा देकर लोगों के घर व जमीन तक बिकवा दी
इमरजेंसी के दौर में वह लोकतंत्र सेनानी पेंशन पा रहा था। इसी तरह की पेंशन और जवाहर बाग में प्लॉट देने का झांसा देकर उसने लोगों के घर और जमीन बिकवाए। उनका पैसा हासिल करने के बाद जवाहर बाग में पनाह देना शुरू कर दिया। लोग उसके झांसे में आते गए और कुनबा बढ़ता गया। पिछले दिनों आयोजित जयगुरुदेव सत्संग मेला में आए कई अनुयाइयों ने रामवृक्ष की इस करतूत का खुलासा किया था।
जय गुरुदेव संस्था के पदाधिकारी चरन सिंह यादव कहते हैं रामवृक्ष यादव से इस आश्रम या संस्था का कोई वास्ता कभी नहीं रहा। वह लोगों में गलतफहमी फैला रहा था। मगर रामवृक्ष यादव की गतिविधियों को जयगुरुदेव प्रकरण से जोड़कर भी देखा जा रहा था। रामवृक्ष ने जयगुरुदेव के निधन पर सवाल उठाते हुए वर्तमान पदाधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में अपील भी की थी, जो विचाराधीन है। ऑपरेशन जवाहरबाग शुरु करने से पहले प्रशासन भी इसी गलतफहमी में रहा।