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पढ़ाई छोड़ लहुरीमऊ गांव की रखवाली कर रहे किशोर

लहुरीमऊ व आसपास गांवों के बच्चे पढ़ाई-लिखाई छोड़ धरनास्थल पर लाठी-डंडे लेकर डटे हैं। वह भी अपने बड़ों के साथ जिला प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 21 Dec 2016 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 21 Dec 2016 11:40 AM (IST)
पढ़ाई छोड़ लहुरीमऊ गांव की रखवाली कर रहे किशोर

कानपुर (जेेएनएन)। एक ओर अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए कुछ भी करने को तैयार किसान यूनियन के लोग हैं तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री की जनसभा में उत्पात करने और पुलिस को पीटने से गुस्साए अधिकारी। दोनों ओर दिए जा रहे मूंछों में ताव से गांव का बचपन कैद हो गया है। लहुरीमऊ व आसपास गांवों के बच्चे पढ़ाई-लिखाई छोड़ धरनास्थल पर लाठी-डंडे लेकर डटे हैं। वह भी अपने बड़ों के साथ जिला प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं।

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मामला है कानपुर के घाटमपुर तहसील के सजेती थाना क्षेत्र के गांव लहुरीमऊ का। जहां कानपुर और हमीरपुर जिले की पुलिस के लिए चुनौती बने भाकियू जिलाध्यक्ष निरंजन राजपूत और महिला ङ्क्षवग की जिलाध्यक्ष विशेखा राजपूत की अगुवाई में धरना चल रहा है। निरंजन की सुरक्षा में आसपास के आठ गांवों के लोग तैनात हैं। उसकी सुरक्षा में गांव के कक्षा तीन से आठ तक में पढऩे वाले बच्चे भी मौजूद हैं। गांव में दो विद्यालय हैं। दोनों स्कूल खुले थे, लेकिन बच्चों की संख्या इक्का-दुक्का ही थी। धरने वाली धर्मशाला में डंडा लेकर खड़े प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच में पढऩे वाले रिंकू ने बताया कि स्कूल खुला था, लेकिन कहीं 'जिलाध्यक्ष जी को पुलिस पकड़ न ले जाए, इसलिए वह स्कूल नहीं गया।

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ऐसा ही कुछ कहा श्यामू और दीपक ने। गांव के किशोर सुशील कुमार ने कहा कि वह हमीरपुर में हाईस्कूल का छात्र है। सुबह कॉलेज जा रहा था, लेकिन दुर्गा मोड़ पर खड़े पुलिस वालों ने पूछा। जैसे ही लहुरीमऊ गांव का नाम लिया तो पीटकर उसे भगा दिया। गांव की संगीता भी घाटमपुर में पढ़ती है। इस कारण वह कॉलेज नहीं गई। गांव में डंडा लिए बैठी है। अपनी पत्नी के साथ लौट रहे सुनील ने बताया कि गांव जाने के लिए टेंपो और बस चलती थी। पुलिस वालों ने उसे बंद करवा दिया। अब पैदल जा रहे हैं। इस वक्त पूरे गांव का माहौल बदला हुआ है। लोग न खेतों पर हैं और न घर पर। सब के सब धरनास्थल पर ही डटे हैं।

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जमा हो रहा राशन
किसान आंदोलन को और तेज करने के लिए भाकियू की अन्य जिला यूनिटों से भी संपर्क किया गया है। दावा है कि आने वाले दिनों में बाहर से किसान आएंगे। इसके लिए धरना स्थल पर राशन और ईंधन जुटाया जा रहा है। मंगलवार को ट्रैक्टर ट्राली से भरकर कंडे और सूखी लकडिय़ां लाई गई। इसके अलावा निरंजन राजपूत के कमरे में सब्जी और राशन का भारी स्टाक जमा है।

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रात में बैरंग लौटी पुलिस
सोमवार रात करीब 9.30 बजे कानपुर पुलिस की 13 जीपों में भरकर पुलिस लहुरीमऊ गांव की ओर गईं। पुलिस आने की आहट लगते ही निरंजन ने माइक से आवाज लगाई तो पूरे गांव के लोग लाठी-डंडे लेकर आ गए। हाथ में लाठी और फरसे लेकर भारी भीड़ देख पुलिस गांव में हिम्मत नहीं जुटा सकी। ग्रामीणों का मूड देख पुलिस अधिकारी वापस लौट गए।

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