कानपुर हैलट के वार्ड ब्वाय और सुरक्षा गार्ड बर्खास्त, पीआरओ निलंबित
लाला लाजपत राय चिकित्सालय में बदइंतजामी से समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे की मौत में जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर बड़ी कार्रवाई की।
कानपुर (जेएनएन)। लाला लाजपत राय चिकित्सालय (हैलट) में बदइंतजामी की वजह से समय पर इलाज नहीं मिलने से बच्चे की मौत के मामले में जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर बड़ी कार्रवाई की। उन्होंने प्राचार्य को वहां के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) के निलंबन व ड्यूटी से गायब वार्ड ब्वॉय से स्पष्टीकरण तलब करने को कहा है। इसके अलावा ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल अफसर) पर कार्रवाई के लिए सीएमओ को आदेश दिये हैं। एक अन्य वार्डब्वॉय व सुरक्षा गार्ड को बर्खास्त करते हुए भविष्य में स्वास्थ्य विभाग में न लगाने के आदेश दिये हैं।
इलाज में लापरवाही पर कानपुर हैलट अस्पताल के सीएमएस निलंबित
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आदेश पर डीएम कौशल राज शर्मा ने एसीएम-6 व एसीएमओ की दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दो दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिये थे। डीएम ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि जांच कमेटी की संस्तुति के आधार पर कार्रवाई की गई है। 26 अगस्त की दोपहर ड्यूटी पर रही पीआरओ पल्लवी शुक्ला ने अंश को स्टे्रचर मुहैया कराने में लापरवाही बरती है, जिससे बच्चे की इलाज के अभाव में मौत हो गई। इसलिए प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार को उन्हें निलंबित कर कठोर विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। वहीं ईएमओ डॉ. मयंक सिंह पूरे प्रकरण से अनभिज्ञ रहे। इसलिए दायित्व निर्वहन में लापरवाही बरतने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए सीएमओ डॉ. आरपी यादव को आदेश दिये हैं। उनके खिलाफ शासन स्तर से ही कार्रवाई होगी। इमरजेंसी ड्यूटी के वार्ड ब्वॉय शिव सहाय तिवारी बिना सूचना गायब रहे। घटना के समय आउटसोर्सिंग के वार्ड ब्वॉय संतोष कुमार ने लापरवाही बरते हुए बच्चे को स्ट्रेचर नहीं उपलब्ध कराया, जबकि उन्हें इसी कार्य के लिए रखा गया है। सुरक्षा गार्ड संदीप कुमार भी संवेदनहीनता का दोषी पाया गया है। इसलिए इन दोनों की सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से सेवाएं समाप्त कराई जाएं।
उत्तर प्रदेश के अन्य समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
सेवा प्रदाता कंपनी पर लगाएं हर्जाना
वार्ड ब्वॉय एवं सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने वाली सेवा प्रदाता कंपनी पर भी हर्जाना लगाया जाए। भविष्य में ऐसे कर्मचारी मुहैया न कराने की कठोर चेतावनी दें। दोबारा ऐसा करने पर अनुबंध समाप्त कर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। दोनों कंपनियां अपने कर्मचारियों की निगरानी के लिए सुपरवाइजर तैनात करें।