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मच्छरों से बचाव की तैयारी में जुटा आइआइटी कानपुर

आइआइटी के बायलॉजिकल साइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर व रिसर्च स्कॉलर मच्छर के दिमाग की एक्टिविटी पर काम कर रहे हैं।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Wed, 17 May 2017 11:18 AM (IST)Updated: Wed, 17 May 2017 11:18 AM (IST)
मच्छरों से बचाव की तैयारी में जुटा आइआइटी कानपुर
मच्छरों से बचाव की तैयारी में जुटा आइआइटी कानपुर

कानपुर (जागरण संवाददाता)। डेंगू व मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को मनुष्य के शरीर की महक आकर्षित करती है। शरीर से उठने वाली यह महक कार्बन डाइऑक्साइड, लैक्टिक एसिड, अमोनिया, ऑक्टीनॉल जैसे तत्वों के कांबिनेशन से उत्पन्न होती है। इसी कांबिनेशन से मच्छर हम तक पहुंचते हैं। आइआइटी में करीब दो साल से चल रहे अनुसंधान के बाद यह बात सामने आई है।

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आइआइटी के बायलॉजिकल साइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर व रिसर्च स्कॉलर मच्छर के दिमाग की एक्टिविटी पर काम कर उन केमिकल का पता लगा रहे हैं जिनसे मच्छरों को शरीर से दूर रखा जा सके और नुकसानदेय भी न हों। मच्छरों से बचाव की तैयारी में जुटे प्रोफेसर व रिसर्च स्कॉलर अब यह पता लगा रहे हैं कि यह कांबिनेशन मच्छरों को किस तरह हमारी ओर आकर्षित करता है।

मच्छरों के ब्रेन पर काम करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नितिन गुप्ता अपनी टीम के साथ मच्छरों के दिमाग पर केमिकल की गंध से होने वाले परिवर्तन का अध्ययन कर रहे हैं। डा. गुप्ता बताते हैं कि जिस तरह मनुष्य अपनी नाक से गंध को पहचानते हैं। उसी तरह मच्छरों के सिर पर लगे दो अंटीने यह काम करते हैं। इन अंटीनों में रिसेप्टर होते हैं जो किसी भी चीज की गंध ब्रेन तक पहुंचाते हैं।

बताया कि अनुसंधान में हम मच्छर के ब्रेन में इलेक्ट्रोड लगाते हैं जो उनके न्यूरोंस की एक्टीविटी को देखते हैं। अलग-अलग केमिकल सूंघने पर मच्छर के ब्रेन में क्या परिवर्तन हो रहा है इसका अध्ययन करके कई चीजों का पता लगा चुके हैं। मनुष्य के शरीर से निकलने वाले केमिकल का कांबिनेशन किस तरह मच्छरों तक पहुंचता है इसका पता लगा रहे हैं। इसके बाद वे केमिकल हमारे पास होंगे जिनका इस्तेमाल हम मच्छरों को भगाने में कर सकेंगे।

मच्छरों के दिमाग पर कर रहे अध्ययन: मच्छरों के दिमाग पर काम करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नितिन गुप्ता अपनी टीम के साथ मच्छरों के दिमाग पर केमिकल की गंध से होने वाले परिवर्तन का अध्ययन कर रहे हैं। डा. गुप्ता बताते हैं कि जिस तरह मनुष्य अपनी नाक से गंध को पहचानते हैं उसी तरह मच्छरों के सिर पर लगे दो अंटीने यह काम करते हैं। इन अंटीनों में रिसेप्टर होते हैं जो किसी भी चीज की गंध ब्रेन तक पहुंचाते हैं।

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परिवर्तन पर हो रहा शोध: डा. गुप्ता ने बताया कि अनुसंधान में हम मच्छर के दिमाग में इलेक्ट्रोड लगाते हैं जो उनके न्यूरोंस की एक्टीविटी को देखते हैं। अलग-अलग केमिकल सूंघने पर मच्छर के ब्रेन में क्या परिवर्तन हो रहा है इसका अध्ययन करके कई चीजों का पता लगा चुके हैं। मनुष्य के शरीर से निकलने वाले केमिकल का कांबिनेशन किस तरह मच्छरों तक पहुंचता है इसका पता लगा रहे हैं। इसके बाद वे केमिकल हमारे पास होंगे जिनका इस्तेमाल हम मच्छरों को भगाने में कर सकेंगे।

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