यह कैसा खेल, बगैर स्टेशन के रुकती रेल
रमाशंकर शुक्ल
मछलीशहर (जौनपुर): जंजीर खींचना अपराध है, ऐसा किए तो 6 माह की सजा होगी और 5 सौ रुपये जुर्माना भी भरना पड़ेगा। वैसे कानून हाथ में लेने की कोई जरूरत नहीं। रेलवे विभाग व ट्रेन चालक जनता की सेवा में तत्पर हैं। कटवार पहुंचते ही एजे पैसेंजर स्वत: खड़ी हो जाती है। यहां भारी संख्या में यात्री उतरते भी हैं और सवार भी होते हैं। यह खेल पूरे डेढ़ दशक से चल रहा है।
कटवार की फाटक विहीन रेलवे क्रासिंग बरसठी से तीन किमी. पश्चिम तथा जरौना से 4 किमी. पूरब स्थित है। यहीं से 7 किमी. दक्षिण भदोही जिले की सीमा प्रारंभ होती है। ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण आवागमन की दृष्टि से लोग काफी परेशान होते हैं। इधर से गुजरने वाली ट्रेन के यहां पहुंचते ही लोग चेन खींचकर उतरते रहे। ऐसा बहुत पहले से होता रहा। लोगों ने जनप्रतिनिधियों से भी मांग की किंतु इस समस्या को सबने नजरअंदाज कर दिया।
1999 में स्वामी चिन्मयानंद सांसद चुने गए तो यह समस्या उनके संज्ञान में लाई गई। उन्होंने रेलवे अधिकारियों से मौखिक वार्ता कर ट्रेन रुकवाने को कहा, तब से इसे विभाग द्वारा ही रोका जाने लगा। कई क्षेत्रों से आने-जाने वालों के लिए कटवार ही केंद्र बिंदु है। इसलिए यही स्थान तय किया गया। तब से बिना स्टेशन ट्रेन रुकने की परंपरा अब तक चली आ रही है। अब जब यह अघोषित स्टेशन बन गया है तो ग्रामीण इसे खुद ही सुविधाजनक बनाने में जुट गए।
धारिकपुर गांव निवासी गेना लाल बताते हैं कि प्रधान रहे शेषनाथ यादव ने लाइन के किनारे मिट्टी पटवा दी। इससे लोगों को उतरने-चढ़ने में सहूलियत होने लगी। प्रधान फूलगेन द्वारा भी इस तरह का काम जनहित में किया गया।
मंडल रेल प्रबंधक से स्टेशन की मांग
गत 20 सितंबर को लखनऊ से चलकर आए मंडल रेल प्रबंधक जयदीप राय के सैलून को ग्रामीणों ने कटवार रेलवे क्रासिंग पर रोका। उन्होंने क्रासिंग से दिनभर गुजरने वाले वाहनों की संख्या की जानकारी ग्रामीणों से ली तथा शीघ्र ही फाटक लगवाने की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया। लोगों ने इस स्थान को स्टेशन का स्वरूप देते हुए प्लेटफार्म बनवाने तथा टिकट घर स्थापित कराने की भी मांग उठाई। उन्होंने शीघ्र ही मांग को पूरा करने का आश्वासन दिया।
स्थापित है शिलान्यास पट्ट
कटवार रेलवे क्रासिंग के पास थोड़ी दूरी पर ग्राम प्रधान के सहयोग से सांसद तूफानी सरोज द्वारा 7 फरवरी 2013 को कटवार स्टेशन का शिलान्यास करने की गवाही देता एक पट्ट स्थापित है जबकि वहां पर स्टेशन बनाने के लिए न तो कोई भवन निर्माणाधीन है और न तो कहीं नींव ही खोदी गई। शिलान्यास पट्ट तक ही स्टेशन स्थापना का कार्य सिमट गया है।
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