तीन घंटे में तीन किलोमीटर का सफर
केस 1- तीन मई को रात साढ़े आठ बजे ही गोदान एक्सप्रेस गोरखपुर कैंट स्टेशन पर पहुंच गई। मुंबई से आ रहे
केस 1- तीन मई को रात साढ़े आठ बजे ही गोदान एक्सप्रेस गोरखपुर कैंट स्टेशन पर पहुंच गई। मुंबई से आ रहे लोग गोरखपुर जंक्शन पहुंचने का इंतजार कर रहे थे लेकिन ट्रेन रात 11 बजे के बाद पहुंची। करीब तीन किमी दूरी तय करने में ट्रेन को तीन घंटे लग गए। समय से लंबी दूरी तय कर पहुंची गाड़ियां कैंट स्टेशन पर ही लंबित हो जाती हैं। पास आकर भी लोग घर नहीं पहुंच पाते हैं। इंतजार में एक-एक पल भारी पड़ता है।
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केस 2- वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर चलने वाली महत्वपूर्ण ट्रेन है। लेकिन यह ट्रेन में कैंट स्टेशन पर आकर 15 से 30 मिनट तक रुक जाती है। एक मई को ही यह ट्रेन करीब 20 मिनट तक रुकी रही। मौर्य और दादर एक्सप्रेस तो रोजाना घंटो रुकती हैं। वाराणसी व छपरा से आने वाली इंटरसिटी के अलावा कप्तानगंज रूट पर चलने वाली सवारी गाड़ियां को तो जैसे कैंट स्टेशन पर आकर ब्रेक लग जाता है।
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केस तीन- महीने में पन्द्रह-बीस दिनों तक बाघ एक्सप्रेस को दो से तीन घंटे तक कैंट स्टेशन पर रोक दिया जाता है। इससे रेल यात्रियों में पूर्वोत्तर रेलवे से विश्वास घटता जा रहा है। मालगाड़ी को पास कराने में अन्य पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों को एक से दो घंटे तक डोमिनगढ़ और कैंट में रोक दिया जाता है। इससे भी मुसीबत बढ़ रही है।
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गोरखपुर : यह तो महज कुछ नजीर है। लाख प्रयास के बाद भी यात्रियों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। लोग मुंबई और कोलकाता से समय से गोरखपुर पहुंचकर भी घर नहीं पा रहे हैं। गाड़ियां कैंट स्टेशन पर ही आकर रुक जा रही हैं। यह तब है जब गोरखपुर जंक्शन का यार्ड रिमाडलिंग हो चुका है। सभी 10 प्लेटफार्म कार्य कर रहे हैं।
वाराणसी ही नहीं लखनऊ रेलखंड पर भी गाड़ियों का संचलन दुरुस्त नहीं हो पा रहा है। 29 अप्रैल को ही अयोध्या जाने वाली 55001 सवारी गाड़ी समय से प्लेटफार्म नंबर एक पर खड़ी हो गई। लेकिन यह ट्रेन 25 मिनट की देरी से रवाना हुई। अयोध्या, बस्ती और गोंडा तक चलने वाली सवारी गाड़ियां अक्सर लेट चल रही हैं। सूत्रों का कहना है कि भले ही गोरखपुर स्टेशन का विस्तार हो चुका है लेकिन रेल लाइन और प्लेटफार्म पर्याप्त नहीं हैं। पहुंचने वाली ट्रेनों को प्लेसमेंट कराने में काफी कठिनाई होती है।
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सैटेलाइट बनेगा कैंट, तैयार
होंगे पांच प्लेटफार्म
गोरखपुर जंक्शन पर ट्रेनों का लोड बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आसपास के स्टेशन कैंट, डोमिनगढ़ और नकहा को सैटेलाइट स्टेशन बनाया जाएगा। कैंट पर तो निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। वाराणसी, छपरा और नरकटियागंज रूट से होकर गोरखपुर आने वाली एक्सप्रेस और सवारी गाड़ियां कैंट स्टेशन पर बेवजह नहीं रुकेंगी। गोरखपुर जंक्शन पर ट्रेनों का लोड भी कम हो जाएगा। इस रेलखंड पर चलने वाली अधिकतर सवारी और डेमू गाड़ियां यहीं से टर्मिनेट हो जाएंगी। एक्सप्रेस गाड़िया गोरखपुर के लिए सीधे रनथ्रू पास कर जाएंगी। फिलहाल, स्टेशन के सभी पुराने भवन को नया आकर्षक बनाया जाएगा। तीन की जगह पांच प्लेटफार्म होंगे। बोल्डर साइडिंग के पास नंदानगर में नई पिट लाइन बनाई जाएगी, जहा ट्रेनों का अनुरक्षण हो सकेगा। स्टेशन यार्ड में कुल नौ रेल लाइन बिछाई जाएंगी। स्टेशन पर पहुंचने के लिए दोनों ओर से रास्ते का प्रावधान किया गया है। स्टेशन के दक्षिण की तरफ भी गेट बनाया जाएगा।
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रनथ्रू चलेंगी मालगाड़ियां,
बनेगी तीसरी लाइन
ट्रेनों को समय से चलाने के लिए छपरा, नरकटियागंज और गोंडा रूट पर चलने वाली मालगाड़ियों को रनथ्रू चलाया जाएगा। इसके डोमिनगढ़ से गोरखपुर जंक्शन होते हुए कैंट और कुसम्ही तक तीसरी लाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए रेलवे मंत्रालय ने धन भी स्वीकृत कर दिया है। तीसरी लाइन बन जाने से जंक्शन पर मालगाड़ियों का ठहराव कम हो जाएगा।