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अस्पतालों का सच देखा तो उड़ गए होश

By Edited By: Published: Thu, 10 Jul 2014 01:27 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jul 2014 01:27 AM (IST)
अस्पतालों का सच देखा तो उड़ गए होश

जागरण संवाददाता, गोरखपुर :

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लखनऊ से आए अधिकारी जब इंसेफेलाइटिस के इलाज के मद्देनजर अस्पतालों का निरीक्षण करने पहुंचे तो अव्यवस्था देख उनके होश उड़ गए। टीम का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक जब गोरखपुर जिले के पिपराइच क्षेत्र के सिरोहिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो वहां पता चला कि हड्डी रोग विशेषज्ञ आते ही नहीं, कोई दूसरा उनकी हाजिरी बनाता है। जांच में हस्ताक्षर फर्जी पाया गया। हरनही स्वास्थ्य केंद्र पर चार डाक्टर सहित सोलह कर्मचारी तैनात हैं पर यहां दिन में ग्यारह बजे एक एएनएम मिली। अधिकतर केंद्रों पर ऐसी ही अव्यवस्था पाई गई।

निरीक्षण के दौरान बेलघाट ब्लाक में सिर्फ दो डाक्टर ही मिले। इसमें से भी एक, शहर के चरगावां स्वास्थ्य केंद्र से अटैच हैं। पिपराइच, चौरीचौरा, सहजनवा जैसे स्वास्थ्य केंद्रों पर जहां स्वीकृत पद से अधिक डाक्टर तैनात हैं तो इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर बनाए गए कई केंद्रों पर डाक्टर-स्टाफ की भारी कमी मिली।

अधिकारी जब देवरिया के जसुई बाजार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो पता चला कि यहां गिनती के मरीज इलाज के लिए आते हैं। कभी-कभी तो चौबीस घंटे में सिर्फ पांच से सात मरीज ही आते हैं पर यहां तीन डाक्टर व तीन स्टाफ नर्स की तैनाती हैं। पता चला कि अधिकतर डाक्टर यहां आते ही नहीं। भाटपाररानी स्वास्थ्य केंद्र पर पता चला कि रोजाना सौ से डेढ़ सौ मरीज आते हैं पर मात्र एक डाक्टर की तैनाती है। दौरे पर गए संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डा. कामेश्वर सिंह ने मरीजों की भीड़ को देखते हुए जसुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की पैथालाजी को भाटपाररानी केंद्र पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए। अधिकतर स्वास्थ्य केंद्रों की हालत ऐसी ही पाई गई।

यह भी बात सामने आई कि जहां गिनती के मरीज हैं उन स्वास्थ्य केंद्रों पर पद से अधिक डाक्टर हैं जो व्यक्तिगत प्रैक्टिस कर रहे हैं। जिन दूरस्थ अस्पतालों में भीड़ हैं वहां एक डाक्टर तैनात हैं। अस्पतालों में डाक्टरों व संसाधनों की भारी कमी की बात भी सामने आई।

टीम ने यह रिपोर्ट जब गोरखपुर के मंडलायुक्त को दी तो उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को पंद्रह जुलाई के पहले व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। उधर टीम ने लखनऊ लौट कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। यही हाल रहा तो एक बार फिर इंसेफेलाइटिस का बेहतर इलाज सपना बन कर रह जाएगा।

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इस साल भी नहीं सुधरे हालात

स्वास्थ्य केंद्रों पर इंसेफेलाइटिस के जिन मरीजों के इलाज करने की बात हो रही है वह इस बार भी पूरा होता नहीं दिख रहा। इस साल अब तक भर्ती मरीजों के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पिछले एक जनवरी से अब तक मेडिकल कालेज सहित पूर्वाचल के सरकारी अस्पतालों में इंसेफेलाइटिस के 320 से अधिक मरीज भर्ती किए गए हैं जबकि स्वास्थ्य केंद्रों पर सिर्फ तीन मरीज भर्ती किए गए। यह तीनों मरीज महराजगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती हुए हैं। गोरखपुर, देवरिया, व कुशीनगर के स्वास्थ्य केंद्रों का अब तक खाता भी नहीं खुला है।

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किसी स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टरों की कमी व कहीं स्वीकृत पद से अधिक तैनाती अति गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जा रही है। ऐसे मामलों की जांच कर डाक्टरों का तबादला किया जाएगा। आगे से यदि ऐसा मामला पाया गया तो कड़ी कार्रवाई होगी। एक स्वास्थ्य केंद्र पर डाक्टर द्वारा दूसरे से हाजिरी बनवाने के मामले की जांच की जा रही है।

डा. डीएन त्रिपाठी, अपर निदेशक स्वास्थ्य


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