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हर तीसरे बच्चे पर 'कुपोषण' की कालिख

योगेंद्र पटेल, फतेहपुर : शासन-प्रशासन भले ही बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के प्रति संजीदगी का ¨ढढोरा

By Edited By: Published: Sun, 13 Sep 2015 01:07 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2015 01:07 AM (IST)

योगेंद्र पटेल, फतेहपुर : शासन-प्रशासन भले ही बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के प्रति संजीदगी का ¨ढढोरा पीट रहा हो, लेकिन जनपद में जो आंकड़े उभरकर आए हैं, वह चौंकाने वाले हैं। बच्चों को कुपोषण की कालिख से बचाने के लिए आला अधिकारियों ने गांवों को गोद भी लिया। आंगनबाड़ी केंद्रों व अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के जरिए गांवों में पोषण व जन स्वास्थ्य के प्रति सजग करने के लिए बैठक, गोष्ठियों व सेमिनारों के जरिए जागरूकता भी फैलाई गई। लेकिन यह सभी प्रशासनिक प्रयास ढाक के तीन पात ही साबित हुए। कुपोषित बच्चों का ग्राफ घटने के बजाय बढ़ गया। जनपद में हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है। निश्चित ही यह आंकड़ा समूची सरकारी मशीनरी व स्वास्थ्य विभाग की कागजी कार्रवाई की बानगी पेश कर रहा है।

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आंगनबाड़ी केंद्रों में दो चरणों में 0 से 5 वर्ष के बच्चों के कराए गए बेबी वजन दिवस में 3 लाख 04 हजार बच्चों के सापेक्ष 97 हजार बच्चों को अतिकुपोषित व आंशिक कुपोषित चि¨हत किया गया है और उसकी रिपोर्ट ऑनलाइन महानिदेशक राज्य पोषण मिशन लखनऊ भेज दी गई है। शासन के निर्देश पर डीएम श्रीमती पुष्पा ¨सह की देखरेख में जिले के 2907 आंगनबाड़ी केंद्रों में 0 से 5 वर्ष के बच्चों का वजन दिवस कराया गया था। जिसमें 07 सितंबर के पहले चरण में 1521 केंद्रों में 01 लाख 54 हजार बच्चों का तौल मशीन में वजन दिवस कराया गया था। उसके बाद 10 सितंबर को बेबी वजन दिवस बचे केंद्रों में वजन दिवस आयोजित किया गया था। ग्रोथ चार्ट में 25 हजार 807 बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में चिन्हित किए गए, जबकि 71 हजार 467 बच्चे आंशिक कुपोषित चि¨हत हुए। जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय कुमार कहते हैं कि ग्रोथ चार्ट के लाल रंग में अतिकुपोषित व पीले रंग के पेज में आंशिक कुपोषित एवं हरे पेज में सामान्य बच्चों को चि¨हत किया गया है। बताया कि कुपोषित, अतिकुपोषित व सामान्य बच्चों की रिपोर्ट कम्प्यूटर में ऑनलाइन महानिदेशक राज्य पोषण मिशन को भेज दी गई है। बताया कि 3 लाख 4 हजार बच्चों के सापेक्ष 97 हजार बच्चे आंशिक कुपोषित व अतिकुपोषित की श्रेणी में अंकित किए गए हैं।

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पहले थी ढाई हजार की संख्या

अभियान न चलता तो नब्बे फीसद कुपोषित बच्चे गुमनाम ही बने रहते। जी हां अभी तक जिले में मात्र ढाई हजार बच्चे ही कुपोषित माने जा रहे थे। अधिकारी गांव गोद लेकर ढाई बच्चों के कुपोषण को दूर करने की कवायद में लगे थे। अभियान के बाद उभर कर आई संख्या से अधिकारी भी परेशान हैं।

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डिब्बी -

किन कारणों से होता कुपोषण

- गंदगी में रहने से बार बार बीमार होना

- संतुलित भोजन का सेवन न करना

- पर्याप्त प्रोटीनयुक्त भोजन न मिलना

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कुपोषण के क्या होते हैं लक्षण

- लंबाई बढ़ने में अचानक रुकावट

- समय से दिमाग का विकास न होना

- सीखने की क्षमता का क्षीण होना

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क्या कहते हैं चिकित्सक

फतेहपुर : सदर अस्पताल के डाक्टर आदर्श मिश्र व डा. अनुपम कुमार कहते हैं कि बच्चों को पर्याप्त भोजन व संतुलित भोजन न मिलने पर वह कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। समय से भोजन न करना भी अहम कारण है।कहा कि बच्चे मिट्टी में खेलते हैं और गंदगी के बीच भोजन कर लेते हैं जिससे बार बार वह डायरिया व संक्रामक बीमारी का शिकार हो जाते हैं। बार बार बीमारी की वजह से बच्चों का बौद्धिक विकास उतनी तेज नहीं बढ़ पाता जितनी तेज विकास बढ़ना चाहिए। इन्हीं कारणों से बच्चों का वजन नहीं बढ़ पा रहा है।


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