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    सेल्फी पर जेल को लेकर छिड़ी बहस

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    Updated: Wed, 03 Feb 2016 11:10 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर : डीएम के साथ सेल्फी लेना वाले युवक फराज को जेल भेज दिया गया है। नगर के नज

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    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर : डीएम के साथ सेल्फी लेना वाले युवक फराज को जेल भेज दिया गया है। नगर के नजदीक कमालपुर गांव स्थित युवक के घर पर बुधवार को इसको लेकर मायूसी छाई रही। घर के लोग बुलंदशहर में जमानत की प्रक्रिया में जुटे रहे। डीएम का यह सेल्फी प्रकरण शहर में चर्चा का विषय बनता जा रहा है। कमालपुर का रहने वाला फराज महज 18 साल का है।

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    बिना अनुमति के सरकारी दफ्तर में किसी सरकारी अफसर और वह भी एक महिला अफसर की तस्वीर लेना गलत है। अपरिचितों द्वारा बिना बताए मोबाइल से तस्वीर लेना या सेल्फी खींचना सामाजिक रूप से भी स्वीकार्य नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह बहस भी तेज हो गई है कि अति उत्साह मे किसी युवक द्वारा सोशल साइट्स पर काफी लोकप्रिय हो रहीं डीएम का सेल्फी लेना क्या इतना बड़ा जुर्म है कि धारा 151 लगा कर जेल भेजा जाए? धारा 151 शांतिभंग की आशंका से जुड़ी धारा है। इस धारा के प्रयोग पर भी सवाल उठ रहे हैं।

    डीएम बी. चंद्रकला के एक फेसबुक पेज को लाइक करने वालों की संख्या साढ़े चार लाख से अधिक है। लाइक की संख्या हजारों में होती हैं। संभव है फराज उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर अति उत्साह में उनकी सेल्फी या फोटो लेने पहुंच गया हो? ऐसे में डीएम उसे ताकीद करके छोड़ भी सकती थीं, लेकिन शांति भंग की धाराओं में चालान करने को लेकर प्रशासनिक परिपक्वता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

    फराज के चाचा इरफान ने बताया कि फराज सीधा-साधा युवक है। घर की खेती-बाड़ी करता है। मोबाइल का शौकीन है। ग्राम प्रधान पड़ोस में रहते हैं। उनसे फराज का लगाव है। प्रधान मी¨टग के सिलसिले में बुलंदशहर गए तो फराज भी उनके साथ चला गया। प्रधान कलक्ट्रेट में मी¨टग में भाग लेने चले गए और फराज बाहर इंतजार कर रहा था। इरफान का कहना है कि इसी बीच डीएम के साथ अपनी तस्वीर लेने की ख्याल आया और वह तस्वीर उतारने चला गया। भूड़ रोड पर लोहे के सामान की दुकान करने वाले इरफान ने बताया कि सरकारी अफसर और कानून ने अपना काम किया, उन्हें इससे कोई ऐतराज नहीं। जो बात कानूनन गलत है, उसे सही नहीं कह सकते, लेकिन एक यह भी तरीका होता कि फराज को समझाकर छोड़ सकते थे या डांट-डपट और चेतावनी देकर वहां से रवाना कर देते।

    कमालपुर में फराज पुत्र मो. इमरान के घर पर बुधवार को मायूसी तैर रही थी। घर के बड़े बुजुर्ग उदास बैठे थे। घर पर लोगों का जमावड़ा रहा। मिलने वाले पूछते फराज कैसे जेल चला गया? क्या गुनाह है? कैसे जमानत मिलेगी? इस पर मंथन चलता रहा। मीडिया ने पूछताछ की तो मसले पर चर्चा करने पर वहां मौजूद लोगों ने चुप्पी साध ली। इस मामले पर जानकारी देने से अधिकांश अफसर भी कन्नी काटते नजर आए। परिजनों को उम्मीद है कि जमानत जल्द मिल जाएगी। जेलर राजेंद्र ¨सह ने बताया कि फराज मंगलवार शाम जेल आया था। उसके नाम 14 दिनों का वारंट है। उसे जमानत नहीं मिलने पर उसे 14 दिनों तक जेल में रखने का निर्देश है।

    गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई अन्य नेताओं पर भरी सभा में जूते फेंकने या थप्पड़ मारने जैसी घटनाएं हुई थीं। हालांकि इन नेताओं ने दोषियों को माफ कर दिया था। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी करने वाले छात्रों को भी पुलिस ने मौके से पकड़कर बाद में छोड़ दिया था। डीएम की सेल्फी के मामले में भी कानून ने बेशक काम किया है, लेकिन जिले में सबसे बड़े ओहदे पर बैठी अधिकारी से फराज के परिजन ऐसी ही दरियादिली की उम्मीद पाले बैठे हैं। एक वरिष्ठ अफसर का भी मानना है कि डीएम साहिबा चूंकि खुद ही फेसबुक व अन्य सोशल साइट्स पर सक्रिय रहती हैं, लिहाजा किसी युवक का सेल्फी लेना इतना बड़ा अपराध नहीं है कि उसे सलाखों के पीछे भेज दिया जाए।

    डीएम बी. चंद्रकला का फेसबुक पेज कौन संचालित करता हैं, मैं नहीं जानता। लेकिन, इस पर डीएम की गतिविधियों की तस्वीरें खूब अपलोड होती हैं, खूब लाइक भी किए जाते हैं। संभव है युवक फराज इसी से आकर्षित होकर उनकी तस्वीर लेने पहुंच गया हो। केवल सेल्फी लेने से उसे जेल भेजा जाना गलत है, समाज में गलत संदेश गया है।

    -डीके शर्मा, जिलाध्यक्ष भाजपा।

    आजकल की युवा पीढ़ी में फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स के प्रति काफी आकर्षण है। इसी उमंग से वह युवक सेल्फी लेने पहुंच गया होगा। उसे जेल नहीं भेजा जाना चाहिए था। केवल हिदायत देकर छोड़ देते तो बेहतर होता।

    -कमल राजन, जिलाध्यक्ष बसपा।

    समाचार पत्र के माध्यम से मुझे इसकी जानकारी मिली है। फराज के परिजनों से बात करूंगा। डीएम से पूरे प्रकरण पर गुरुवार को बात करूंगा। फराज के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।

    -दिनेश गुर्जर, सपा जिलाध्यक्ष।

    क्षमाशीलता लोगों को बड़ा बनाती है। जेल न भेजकर समझा कर क्षमा कर देना बेहतर विकल्प होता।

    -गुड्डू पंडित, विधायक सपा।

    डीएम से बिना अनुमति उनकी तस्वीर या सेल्फी नहीं लेनी चाहिए। फिर भी यह इतना बड़ा भी जुर्म नहीं है कि युवक को जेल भेज दिया जाए।

    -सुभाष गांधी, जिलाध्यक्ष कांग्रेस।

    सपा सरकार में प्रशासनिक अमला बेलगाम है। फराज ने इतना बड़ा गुनाह नहीं किया कि उसे जेल भेजा जाए।

    -राजीव चौधरी, जिलाध्यक्ष रालोद।

    बी. चंद्रकला का यह निजी मामला है। बिना अनुमति के युवक को इस तरह सेल्फी नहीं लेनी चाहिए थी।

    आलोक सिन्हा, कमिश्नर, मेरठ मंडल