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कहर थमा, बाढ़ प्रभावित गांवों की दुश्वारियां बरकरार

By Edited By: Published: Sun, 24 Aug 2014 11:00 PM (IST)Updated: Sun, 24 Aug 2014 11:00 PM (IST)

बलरामपुर : नेपाल से आए सैलाब के बाद उफनाई राप्ती नदी व पहाड़ी नालों का कहर अब थम गया है लेकिन प्रभावित गांवों की दुश्वारिया अभी बरकरार हैं। बलरामपुर, उतरौला तहसील, पचपेड़वा ब्लॉक व गैंसड़ी में बाढ़ के पानी से सैकड़ों गांव अभी भी घिरे हैं। राप्ती के कहर से संपर्क मार्गो का कटना और जहां पानी कम हो रहा है वहां बने मकानों के जमींदोज होने का क्रम जारी है। राहत व बचाव का कार्य चल रहा है, लेकिन कई ऐसे गांव भी हैं जहां बाढ़ से घिरे होने के कारण राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फसलें बरबाद हो गई हैं।

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227 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हुए। इस आपदा में दो लाख 55 हजार 219 लोग प्रभावित हुए हैं। मानव के लिए खाने व पशुओं के लिए चारे तक की समस्या बरकरार है। दस दिनों से पानी में डूबी धान व गन्ने की फसल बरबाद हो गई है।

उतरौला संवादसूत्र के अनुसार नदी के तटवर्ती गांवों से बाढ़ का पानी खिसकना शुरू हो गया है। बाढ़ प्रभावित गांवों में मकानों, डूबी फसलों तथा गिरे हुए मकानों का सर्वेक्षण कार्य शुरू कराने का आदेश उपजिलाधिकारी इंद्रभूषण वर्मा ने राजस्व निरीक्षकों तथा लेखपालों को दिया है। पिपरा, कटरा, लखमा, मंझारीदूल्हा, संकरा, कटरा, ढोबाडाबर समेत तटवर्ती पौने दो सौ गांवों तथा मजरों में पानी घट गया है, लेकिन संपर्क मार्ग तथा खेत खलिहानों में पानी अभी भी जमा है। जल जमाव तथा फसलों के सड़ने के चलते तीव्र दुर्गध फैला हुआ है। नगर के दक्षिणी इलाकों इमिलिया, बनघुसरा, चीती, गरीबनगर, राजाजोत, बासूपुर, प्यालाजोत, सेखुइया, जुनेदपुर आदि गांवों में पानी संपर्क मार्गो पर बह रहा है लेकिन रफ्तार धीमी हो गई है। बाढ़ के चलते मनकापुर राजमार्ग के लगभग पांच किलोमीटर की सड़क पर सिर्फ गिट्टियां ही शेष बची हैं। गोंडा मार्ग पर सेखुइयां गांव के सामने लगभग तीन सौ मीटर की सड़क भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। पचपेड़वा मार्ग नगर पालिका की सीमा से महुआ धनी गांव तक लगभग पाचं किलोमीटर की सड़क जलमग्न होने के चलते पूरी तरह उखड़ चुकी है। तुलसीपुर मार्ग पर टिकुइया गांव से पिपरा तक चार किलोमीटर की सड़क बह गई है। फत्तेपुर, फगुइया, रुस्तमनगर, बिरदा, लालनगर, जनुका-जनुकी, बगहिया तक की सड़क आठ दिन तक पानी में डूबी होने के चलते खराब हो चुकी है। एसडीएम का कहना है कि बाढ़ प्रभावितों की मदद की जा रही है। क्षति का आकलन कराया जा रहा है।

गैंसड़ी संवादसूत्र के अनुसार

बाढ़ की विभीषिका से स्थानीय विधानसभा की पचास हजार आबादी प्रभावित हुई है। अभी भी दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी भरा है। दर्जनों घर बाढ़ के पानी से गिर गए हैं। स्थानीय विकास खंड के त्रिलोकपुर, धोबहा के पुरवा मुंशीडीह, ओरईडीह में अभी भी पानी से घिरे हैं। जिसके कारण जरीना, शाहिद, कन्हैया लाल, सावन, नरदाहे, जग्गू, अरमुन, जयराम, मोहम्मद हसन, गोवर्धन आदि लोगों के कच्चे मकान गिरने की जानकारी ग्राम प्रधान राम लाल यादव ने दी है। इसी तरह हरनहवा, बिजुलिया, रमनगरा, चौकिया, गोदहना, सिसहना, जानकीनगर, टेंगनहवा, मनकी, ढोकरहवा, नौबस्ता कला, थरूआ, थरूनिया समेत दर्जनों गांवों की हजार एकड़ फसलें जलमग्न है। कच्चे मकान की मिट्टी की दीवाल भरभराकर गिर रही है। जंतु उद्यान राज्यमंत्री डॉ. एसपी यादव ने बताया कि एसडीएम योगेंद्र बहादुर सिंह को फसलों व मकानों के क्षति का आकलन करने के लिए निर्देशित किया गया है। शासन से बाढ़ पीड़ितों को फसल व क्षतिग्रस्त मकान का मुआवजा दिलाया जाएगा। बाढ़ में मरने वाले लोगों के आश्रितों को डेढ़ लाख रुपये मुआवजा मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से दिलाई जा रही है।


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