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उफनाई घाघरा, मंडराया बाढ़ का खतरा

By Edited By: Published: Tue, 05 Aug 2014 09:24 PM (IST)Updated: Tue, 05 Aug 2014 09:24 PM (IST)

महसी(बहराइच) : नदी का जलस्तर लगातार बढ़त की ओर है। बढ़ते जलस्तर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। आधा दर्जन गांवों के चारों तरफ पानी फैल चुका है। यदि जलस्तर बढ़ता गया तो कई गांवों का पानी से घिरना तय माना जा रहा है। एसडीएम ने क्षेत्रीय लेखपालों को सतर्क निगाह रखने के निर्देश दिए हैं।

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बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा लगातार बढ़ रही है। मंगलवार को घूरदेवी स्थित स्पर पर नदी का जलस्तर 111.920 रिकार्ड किया गया। यहां पर नदी खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। जलस्तर बढ़ने के बाद क्षेत्र के पिपरी, पिपरा, कायमपुर, टेपरी सहित आधा दर्जन गांवों के चारों तरफ पानी फैल चुका है। यदि जलस्तर ऐसे ही बढ़ता गया तो कई गांवों का पानी घिरना तय माना जा रहा है। एसडीएम रमेशचंद्र शुक्ला ने बाढ़ प्रभावित गांवों का भ्रमण कर स्थिति देखी। उन्होंने क्षेत्रीय लेखपालों से कहा कि वे नियमित रिपोर्टिग करते रहें। अविलंब गांवों में पानी घुसने की सूचना उपलब्ध कराएं। जिससे एहतियाती कदम उठाए जा सकें। उन्होंने बताया कि केवल क्षेत्र के पिपरी, पिपरा व कायमपुर जलमग्न हैं।

इनसेट : चुरईपुरवा में तेज हुई कटान

महसी : जलस्तर बढ़ने के बाद तहसील क्षेत्र के चुरईपुरवा गांव में कटान तेज हो गई है। एक के बाद एक आशियाने धारा में विलीन हो रहे हैं। कटान की तीव्रता देख पूरे गांव में हड़कंप मचा है। मुहाने पर बसे ग्रामीण अपने आशियानों को उजाड़ कर सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन कर रहे हैं। ग्रामीण अपने आशियानों को खुद अपने हाथों से उजाड़ने को मजबूर हो रहे हैं। मंगलवार को गांव निवासी प्यारे, द्वारिका, जागिंदर, उपेंद्र, दयाराम, देवेंद्र कुमार, जगतराम, लल्लूराम, रामखेलावन, कोयलऊ, कुंवारे, जिमीदार, बहोरी सहित चौदह ग्रामीणों के आशियाने धारा में विलीन हो गए। एसडीएम रमेशचंद्र शुक्ला ने बताया कि कटान प्रभावित गांवों का भ्रमण स्थिति देखी गई है। कटान तेज है। पीड़ितों को पालीथिन देकर सुरक्षित स्थानों पर बसाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

इनसेट : किले के अस्तित्व पर खतरा

महसी : तहसील क्षेत्र के पिपरी में घाघरा की लहरें किले के नजदीक थपेड़े ले रहे हैं। यहां से बमुश्किल दस मीटर की दूरी पर नदी की तेज धार चल रही है। कटान को देखते हुए मंगलवार को ग्रामीण किले की दीवारों में लगी ईटों को उजाड़ने लगे। फिलहाल कटान की तीव्रता को देखकर यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किले का नामोनिशान मिटना तय माना जा रहा है। ग्रामीण खुद के उजड़ने से ज्यादा किले को लेकर परेशान हैं। फिलहाल पिपरी स्थित राजा का किला ही शेष है जो गांव के आबाद होने की गवाही दे रहा है।


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