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अरमानों के ऊपर से गुजरती रेल

By Edited By: Published: Wed, 23 May 2012 06:33 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2012 06:33 PM (IST)

फरिहां (आजमगढ़): 'वफा करना मेरी आदत रही है, बेवफाई उनकी इबादत रही है'। किसी गुमनाम शायर की यह लाइन फरिहां रेलवे स्टेशन पर पूरी तरह से सटीक बैठती है। दो दशक पहले जब स्थानीय रेलवे स्टेशन को हाल्ट में बदला गया था तो यहां बड़ा आंदोलन हुआ। आंदोलन में जहां स्टेशन को बहाल करने की मांग शामिल थी वहीं उसी आंदोलन के बीच उभरी शाहगंज-मऊ रेल मार्ग को बड़ी लाइन में परिवर्तित करने की मांग। रेल मंत्रालय ने जहां आंदोलन के दबाव में फरिहां को रेलवे स्टेशन का दर्जा दिया वहीं वर्ष 1991 में आमान परिवर्तन की आधारशिला भी रखी गई। वर्ष 1996 में बड़ी लाइन बनने के बाद इस मार्ग से एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ लेकिन उसका लाभ इस स्टेशन से जुड़े लोगों को नहीं मिल सका।

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इस स्टेशन से नजदीक मेंहनगर और निजामाबाद तहसील क्षेत्र के कई गांव और बाजार हैं लेकिन उन्हें एक्सप्रेस ट्रेनों से यात्रा के लिए दूसरे स्टेशनों तक का सफर सड़क मार्ग से तय करना पड़ता है।

इस स्टेशन के इतिहास पर नजर डालें तो इसकी स्थापना 1901 में हुई थी। 1920 में माल गोदाम का भी निर्माण करवाया गया जिससे लालगंज, मेंहनगर व कप्तानगंज के व्यापारियों का माल आता जाता था। उस समय फरिहा में नील की खेती होती थी और साबुन बनता था वहीं निजामाबाद से मिट्टी के बर्तन भी फरिहां रेलवे स्टेशन से देश के कोने-कोने तक पहुंचते थे।

समय बीतता गया और 1996 में जब बड़ी रेलवे लाइन बनी तो आम जनता में खुशी की लहर दौड़ी कि अब रेलवे के माध्यम से देश के किसी भी भाग में क्षेत्र के लोग सीधे पहुंचेंगे लेकिन क्षेत्र की आम जनता का वह सपना पूरा नहीं हुआ।

दस वर्ष से क्षेत्रीय जनता ने रेलवे विभाग को हजारों खत भेजे व जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी मांग रेल मंत्रालय को भेजा लेकिन फरिहां रेलवे स्टेशन पर अभी तक एक्सप्रेस ट्रेन के ठहराव की व्यवस्था नहीं हो सकी।

इस स्टेशन पर अगर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव शुरू हो जाए तो लालगंज, मेंहनगर, निजामाबाद तहसील के अन्तर्गत आने वाले तमाम गांवों के लोगों को फायदा होगा। जिस परिवार के लोग मुंबई, दिल्ली, मद्रास, कलकत्ता आदि शहरों में रहते हैं उन्हें आजमगढ़, फूलपुर, सरायमीर स्टेशनों पर नहीं जाना पड़ेगा।

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