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ट्रेनों के लिए डेंजर जोन है एक किलोमीटर की दूरी

अंबेडकरनगर : फैजाबाद-वाराणसी रेल खंड पर कटेहरी रेलवे स्टेशन स्थित है। उक्त स्टेशन अ

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Oct 2017 12:07 AM (IST)Updated: Wed, 04 Oct 2017 12:07 AM (IST)
ट्रेनों के लिए डेंजर जोन है एक किलोमीटर की दूरी

अंबेडकरनगर : फैजाबाद-वाराणसी रेल खंड पर कटेहरी रेलवे स्टेशन स्थित है। उक्त स्टेशन और पूर्वी आउटर सिग्नल के मध्य करीब एक किलोमीटर का दायरा डेंजर जोन बन गया है। पूर्व में इस परिधि में घटित कई दुर्घटनाएं इसकी ताईद करती हैं।

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उक्त दायरे में निनामपुर रेलवे क्रॉ¨सग स्थित है, जो कटेहरी विधानसभा क्षेत्र को उत्तर से दक्षिण क्षेत्र को आपस में जोड़ता है। ऐसे में हजारों लोगों का आवागमन प्रतिदिन रहता है। साइकिल, मोटर साइकिल, चारपहिया वाहनों का जुगाड़ के सहारे रेल ट्रैक के ऊपर से गुजरना स्वाभाविक है। इससे रेल ट्रैक को सपोर्ट करने वाली गिट्टियां वाहनों के गुजरने से बिखर जाती हैं और पटरी खुल जाती है। इससे पटरी की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। नतीजतन ट्रेनों के भार से पटरी का कमजोर होना, फैलना आम बात है। यह समस्या अक्सर देखने को मिलती है। इसके अलावा-बगल से एक नाला भी है। जिससे उसके पानी से ट्रैक तक सीलन बनी रहती है। इससे मिट्टी धंसने से पटरी के बैठने व टूटने की समस्या भी रहती है। उक्त क्रॉ¨सग को मानव रहित या मानव सहित बनाने की मांग दशकों पुरानी है। स्थानीय लोगों द्वारा पूर्व में आंदोलन भी चलाया गया था, लेकिन जिम्मेदार इससे बेफिक्र हैं। रेल खंड पर बिछी पटरियां वर्ष 1965 की हैं। समय-समय पर इनके टूटने पर बदली जाती रही हैं। रविवार को जो पटरी टूटी थी, उसे विभाग द्वारा 2005 में लगाया जाना बताया गया है। जबकि बगल ही 1965 की लगी पटरी सुरक्षित है। सरकार ने वर्षों से विभाग में तकनीकी के आलावा चावी मैन, पेट्रोल मैन, गैंग मैन, ट्रैक मैन, स्टेशन अधीक्षकों समेत अन्य कर्मियों (सेफ्टी कटेगरी) की भर्तियों पर रोक लगा रखा है। जबकि उक्त पदों पर पूर्व में तैनात रहे कर्मी सेवानिवृत्त हो गए। ऐसे में ये पद रिक्त पड़े हैं। इसके आलावा तकनीकी उपकरणों, सामानों का भी विभाग के पास अभाव है। जबकि ट्रेनों की संख्या व पटरियों पर भार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। पूर्व में ट्रैक पर वर्ष भर आठ आठ घंटे की ड्यूटी प्रतिदिन चाबी मैन, गैंग मैन, ट्रैक मैन की दिन-रात रहती थी। इससे पटरियों के बेहतर निगरानी होती थी। इसी का नतीजा था कि रेल हादसे पर पूर्णतया अंकुश था। कर्मचारियों की कमी के चलते वर्तमान में गर्मी के आठ महीने तक सिर्फ दिन में एक चाबी मैन के जिम्मे 12 किलोमीटर पटरी की निगरानी का जिम्मा है। जबकि मात्र तीन से चार महीने ठंडी के मौसम में दो शिफ्ट में ड्यूटी रहती है। दिन में एक चाबी मैन व रात में एक चाबी मैन व एक पेट्रोल मैन के जिम्मे टॉर्च की रोशनी में पटरियों की देखभाल का जिम्मा। लापरवाही का ही आलम था कि पांच वर्ष पूर्व बजदहा नाले पर स्थित रेलवे पुल कमजोर हो गया। और पटरियां फैलने लगी थी। समय रहते विभाग ने दुरुस्त कर हादसा टाला दिया। इसके आलावा दुल्लापुर गांव के पास रेलवे ट्रैक से गुजर रही ट्रैक्टर-ट्राली के ट्रेन की चपेट में आने से उसके परखच्चे उड़ गए। निनामपुर क्रॉ¨सग पर ट्रैक पर गिट्टी लदा ट्रक, रोड रोलर, मारुती वैन, मोटर साइकिल आदि फंसने की घटनाएं घटित हो चुकी हैं।

केंद्र सरकार ने रेल हादसों की घटनाओं को गंभीरता से लिया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल व रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच गत दिनों आवश्यक बैठक भी हुई है। मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में रेलवे की संरक्षा को लेकर ठोस रणनीति तैयार की गई है। इसके तहत विभाग में''सेफ्टी कटेगरीÞ के रिक्त एक लाख पदों को तीन माह के भीतर भरने का फैसला लिया गया है। इससे रेल हादसों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।

डॉ. हरिओम पांडेय

सांसद

अंबेडकरनगर


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