सद्भाव की चादर से सतरंगी ताज: शाहजहां के उर्स में चढ़ाई एक हजार मीटर लंबी चादर
शाहजहां के उर्स में प्यार का स्मारक ताजमहल सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक चादर से सतरंगी हो उठा। खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी ने एक हजार मीटर लंबी चादर चढ़ाई।
आगरा (जेएनएन)। शहंशाह शाहजहां के उर्स में मंगलवार को प्यार का स्मारक ताजमहल सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक चादर से सतरंगी हो उठा। खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी ने एक हजार मीटर लंबी चादर चढ़ाई। इसका एक छोर मुख्य मकबरे पर और दूसरा दक्षिणी गेट के बाहर था। सुबह से शुरू हुआ चादरपोशी का सिलसिला सूर्यास्त तक चला। प्रवेश निश्शुल्क होने से दिन भर स्मारक में भीड़ रही।
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362वें उर्स का मंगलवार को तीसरा और आखिरी दिन था। इसकी शुरुआत सुबह छह बजे फातिहा से हुई। इसके बाद कुलशरीफ हुआ और तवर्रुख (प्रसाद) बांटा गया। सुबह 10 बजे हुई कुरानख्वानी के बाद चादरपोशी का सिलसिला शुरू हो गया। मुख्य मकबरे पर कव्वाली गूंज रही थी और मुख्य द्वार पर शहनाई बज रही थी। ढोल के साथ चादर चढ़ाने को एक के बाद एक लोग पहुंचते रहे। फतेहपुरी मस्जिद की ओर से 362 फूलों की चादर चढ़ाई गई। आकर्षण का केंद्र खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की चादर रही।
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दोपहर 3:30 बजे दक्षिणी गेट स्थित हनुमान मंदिर से सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक सतरंगी चादर धर्मगुरुओं की मौजूदगी में चढ़ाई गई। मुल्क में अमन-चैन और आतंकवाद के खात्मे की दुआ मांगी गई। खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिरउद्दीन ताहिर ने बताया कि चादर के माध्यम से वह दुनिया को शांति व प्रेम का संदेश देना चाहते हैं।
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उछलकूद और जमकर टूटे नियम
उर्स पर पिछले कुछ सालों से लगातार नियम टूट रहे हैं। मंगलवार को भी नियमों की धज्जियां उड़ीं। उर्स के नियमों के अनुसार लंगर फोरकोर्ट में ही बंटना था, मगर वीडियो प्लेटफॉर्म तक लंगर बांटा गया। वहीं, चादरों के साथ पहुंचे युवक उछलकूद करते हुए स्मारक में पहुंचे। मुख्य मकबरे में उन्होंने नारे भी लगाए। उर्स में हुई चादरपोशी विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण रही। चादर पकडऩे के साथ इस नजारे को वह अपने कैमरों में कैद करते रहे। हालांकि, उर्स की वजह से उन्हें भी भारतीय पर्यटकों के समान मुख्य मकबरे का पूरा चक्कर काटने के बाद ही प्रवेश मिल सका। धूप में उन्हें काफी परेशानी हुई।