मिलिए गूगल डूडल को जिंदगी देने वाले शख्स से
एनिमेशन करना काफी आसान है। इसके लिए थोड़ी सी क्रियेटीविटी और कुछ सॉफ्टवेयर टूल्स के बारे में जानकारी की जरूरत है।
नई दिल्ली। एनिमेशन करना काफी आसान है। इसके लिए थोड़ी सी क्रियेटीविटी और कुछ सॉफ्टवेयर टूल्स के बारे में जानकारी की जरूरत है।
लेकिन लाखों लोगों द्वारा देखे जाने वाले किसी चीज को एनिमेट करना काफी कठिन है।
गूगल पर किसी भी चीज को एनिमेट करने का काम क्रिस्टोफर हॉम का है। यह वही इंसान है जो गूगल डूडल में जान डाल देते हैं जिससे हम वेब यूजर्स गूगल के होम पेज पर इसके लोगो के एनिमेशन को एंज्वाय करते हैं।
हॉम के अनुसार, एनिमेशन कठिन काम नहीं है किसी भी डूडल को क्रियेट करने में 3 महीने लगते हैं।
वर्ष 1998 में पहली बार सर्च पेज पर गूगल का मोडिफाई कंपनी लोगो यानि डूडल दिखाया गया था। बर्निंग मैन फेस्टिवल में शरीक होने गूगल के संस्थापक लैरी पेज और सर्गेइ ब्रिन शहर से बाहर जा रहे थे और उन्होंने निर्णय लिया की कंपनी के लोगो को मोडिफाई कर इसके बारे में अपने सहकर्मियों को जानकारी देंगे। पर यह प्रक्रिया धीरे धीरे लोकप्रिय हुई। गूगल ने ज्यादा से ज्यादा डूडल बनाना शुरू कर दिया। इनमें से ज्यादातर डूडल विभिन्न विभागों में काम करने वाले गूगलर्स ने बनाया था। इसके बाद लोग अपने सूझावों के साथ आए और कुछ नया क्रियेट किया जो होमपेज पर डाला गया।
2009 तक गूगल डूडल स्थिर इमेज होते थे बस कुछ केस में ये ग्राफिक्स इंटरचेंज फार्मेट यानि जिफ (जीआइएफ) होते थे।
2009 में हॉम ने इंजीनियर के तौर पर गूगल ज्वाइन किया। हालांकि वे गूगल डूडल टीम के हिस्सा नहीं थे, उस वक्त कंपनी में कुछ इलस्ट्रटेटर और आर्टिस्ट डूडल पर फुल टाइम कर रहे थे।
हॉम कहते हैं, ‘मैं और डूडल पर काम करने वाले लोग एक ही ऑफिस में बैठते थे और वे मुझे एनिमेशन से खेलते हुए देखते थे। कुछ बातचीत के बाद डूडल टीम ने पूछा क्या मैं होमपेज के लिए एनिमेशन क्रिएट करने में रुचि रखता हूं, और मैंने तुरंत हामी भर दी और न्यूटन डूडल इसका रिजल्ट था।’
न्यूटन डूडल काफी सरल था। इसके बाद तो हॉम ने जटिल डूडल पर भी काम करना शुरू कर दिया।