Move to Jagran APP

चाँद देख कर ही क्यों मनाई जाती हैं ईद

ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता हैं। ईद का यह त्यौहार ना सिर्फ मुसलमान भाई मनाते हैं बल्कि सभी धर्मो के लोग इस मुक्कदस दिन की ख़ुशी में शरीक होते हैं ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2016 02:30 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2016 04:56 PM (IST)

रमजान के 30वें रोज़े के बाद चाँद देख कर ईद मनाई जाती हैं। इस साल भी इसी तरह 7 जुलाई को ईद मनायी जानी हैं। पर क्या आप जानते हैं कि ईद और चाँद का क्या कनेक्शन हैं ? क्यों ईद चाँद दिखने के बाद अगले दिन मनाई जाती हैं ? ईद को ईद-उल-फितर भी कहा जाता हैं जो इस्लामिक कैलंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाई जाती हैं। इस्लामिक कैलंडर के बाकि महीनो की तरह यह महिना भी “नया चाँद” देख कर शुरू होता हैं।

loksabha election banner

ईद मनाने का मकसद वैसे तो पूरी दुनिया में भाईचारा फैलाने का हैं , 624 ईस्वी में पहला ईद-उल-फितर मनाया गया था। इस्लामिक कैलंडर में दो ईद मनायी जाती हैं। दूसरी ईद जो ईद-उल-जुहा या बकरीद के नाम से भी जानी जाती हैं। ईद-उल-फितर का यह त्यौहार रमजान का चाँद डूबने और ईद का चाँद नजर आने पर नए महीने की पहली तारीख को मनाया जाता हैं। रमजान के पुरे महीने रोजे रखने के बाद इसके खत्म होने की खुशी में ईद के दिन कई तरह की खाने की चीजे बनाई जाती हैं। सुबह उठा कर नमाज अदा की जाती हैं और खुदा का शुक्रिया अदा किया जाता हैं कि उसने पुरे महीने हमें रोजे रखने की शक्ति दी। नए कपड़े लिए जाते हैं और अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल कर उन्हें तोहफे दिए जाते हैं और पुराने झगड़े और मन-मुटावों को भी इसी दिन खत्म कर एक नयी शुरुआत की जाती हैं।

इस दिन मस्जिद जा कर दुआ की जाती हैं और इस्लाम मानने वाले का फर्ज होता हैं कि अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरत मंदों को दान करे। इस दान को इस्लाम में जकात उल-फितर भी कहा जाता हैं। आने वाली ईद में भी हम सभी यही उम्मीद करते हैं ये ईद खुशहाली और भाईचारा लायें।

जब हम ईद या रमज़ान की बात करते हैं, तब सबसे पहले हमारे ज़ेहन में शिराकोरमा जिसे सेवइयाँ भी कहते हैं और इस तरह के कई लज़ीज़ पकवानों की याद आते हैं। रमज़ान के पुरे महीने में हर तरफ इफ्तारी के लिए बनने वाली तरह-तरह की डिशेस मुह में पानी लाती हैं। पर ईद और रमज़ान का ये महिना खाने की इन स्वादिष्ट चीज़ों से कहीं ज्यादा हैं।

ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता हैं। सेवइयों और शीरखुरमे की मिठास में लोग अपने दिल में छुपी कड़वाहट को भी भुला देते हैं। ईद का यह त्यौहार ना सिर्फ मुसलमान भाई मनाते हैं बल्कि सभी धर्मो के लोग इस मुक्कदस दिन की ख़ुशी में शरीक होते हैं ।

ईद-उल-अजहा को कई नामों से जाना जाता है। ईदे-अजहा को नमकीन ईद भी कहा जाता है और इसी ईद को ईदे करबां भी कहा जाता है। नमकीन ईद कहे जाने का अर्थ यह है कि इसे नमकीन पकवानों के साथ मनाया जाता है। जबकि कुरबानी से जुड़ी होने की वजह से इसे ईदे कुरबां भी कहा जाता है। बच्चे आमतौर पर इसे बकरा ईद भी कहते हैं। कुरबां का अर्थ है बलिदान की भावना। अरबी में 'कर्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं। अर्थात्‌ इस अवसर पर भगवान इंसान के करीब हो जाता है।

ईद-उल-फ़ित्र में ‘फ़ित्र’ अरबी का शब्द है जिसका मतलब होता है फितरा अदा करना । इसे ईद की नमाज़ पढने से पहले अदा करना होता हैं । फितरा हर मुसलमान पर वाजिब है और अगर इसे अदा नहीं किया गया तो ईद नहीं मनाया जा सकता। रोजा इस्लाम के अहम् फराइजो में से एक है और यह सब्र सिखाता है। रमज़ान में पूरे महीने भर के रोज़े रखने के बाद ईद मनाई जाती हैं. दरसल ईद एक तौफा है जो अल्लाह इज्ज़त अपने बन्दों को महिना भर के रोज़े रखने के बाद देते है। कहा जाता है के ईद का दिन मुसलमानों के लिये इनाम का दिन होता है। इस दिन को बड़ी ही आसूदगी और आफीयत के साथ गुजारना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करनी चाहिए।

भाईचारे के इस त्योहार की शुरुआत तो अरब से हुई है मगर, 'तुजके जहांगीरी' में लिखा है- 'जो जोश, खुशी और उत्साह भारतीय लोगों में ईद मनाने का है, वह तो समरकंद, कंधार, इस्फाहान, बुखारा, खुरासान, बगदाद और तबरेज जैसे शहरों में भी नहीं पाया जाता, जहां इस्लाम का जन्म भारत से पहले हुआ था।'

मुगल बादशाह जहांगीर अपनी रिआया (प्रजा) के साथ मिलकर ईदे-अजहा मनाते थे। गैर मुस्लिमों को बुरा न लगे, इसलिए ईद वाले दिन शाम को दरबार में उनके लिए विशेष शुद्ध वैष्णव भोजन हिन्दू बावर्चियों द्वारा बनाए जाते थे। इस बात के प्रमाण हैं कि ईद मनाने की परंपरा भारत में मुगलों ने ही डाली है ।रिश्तों में मिठास घोलती ईद

रमजान में सजते दस्तरख्वान


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.