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Vinayaka Chaturthi 2024: आज है विनायक चतुर्थी, नोट करें पूजा विधि से लेकर सबकुछ

सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi 2024) का खास महत्व है। इस दिन भक्त भगवान गणेश से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग अत्यंत भक्तिभाव के साथ इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें जीवन की कई सारी मुश्किलों से छुटकारा मिल जाता है तो आइए इस व्रत से जुड़े कुछ नियमों को जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Published: Sat, 11 May 2024 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2024 09:00 AM (IST)
Vinayaka Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी, 2024 का धार्मिक महत्व और पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayaka Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है। इस शुभ अवसर पर साधक उपवास रखकर भगवान गणेश की पूजा करते हैं। साथ ही उनके मंदिर जाते हैं। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष के दौरान आता है। इस महीने यह व्रत 11 मई, 2024 दिन शनिवार यानी आज रखा जा रहा है, तो आइए इस व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

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विनायक चतुर्थी, 2024 का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का बड़ा धार्मिक महत्व है। चतुर्थी एक महीने में दो बार आती है। इस दिन भक्त भगवान गणेश से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग अत्यंत भक्तिभाव और पवित्रता के साथ इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें जीवन की कई सारी मुश्किलों से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही सुख, समृद्धि, धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

विनायक चतुर्थी, 2024 पूजा विधि

  • सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • एक लकड़ी की चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
  • प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें।
  • कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  • मोदक का भोग लगाएं।
  • देसी घी का दीया जलाएं।
  • वैदिक मंत्रों से भगवान गणेश का आह्वान करें और विधि अनुसार पूजा करें।
  • चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
  • अंत में आरती से पूजा को समाप्त करें।
  • ध्यान रहे गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र का उपयोग न करें।
  • पूजा में तामसिक चीजों का प्रयोग न करें।
  • व्रती अगले दिन सुबह विधि-विधान के साथ व्रत का पारण करें।

गणेश जी का पूजन मंत्र

1. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।

2. गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

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