त्र्यंबकेश्वर मंदिर ने एक अनोखा तरीका अपनाया
महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के ट्रस्ट ने मंदिर में पुरुष और महिला को समान प्रवेश देने का एक अनोखा तरीका अपनाया।
नासिक। महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के ट्रस्ट ने मंदिर में पुरुष और महिला को समान प्रवेश देने का एक अनोखा तरीका अपनाया। मंदिर प्रशासन ने समानता बनाए रखने के लिए भगवान शिव के मंदिर के गर्भगृह में पुरुषों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी है। यह फैसला सोमवार से लागू हो जाएगा।
मंदिर की एक ट्रस्टी ललिता शिंदे ने बताया कि त्र्यंबकेश्वर देवस्थानम ट्रस्ट की रविवार सुबह को हुई बैठक में गर्भगृह में पुरुषों के प्रवेश पर रोक का फैसला किया गया। मंदिर में पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया गया। बैठक की अध्यक्षता ट्रस्ट की चेयरपर्सन और जिला जज उर्मिला फाल्के जोशी ने की। मंदिरों में प्रवेश के लिए पुरुषों के समान महिलाओं को प्रवेश का अधिकार दिए जाने के बांबे हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट यह कदम उठाया है।
मंदिर ट्रस्ट के सदस्य कैलाश घुले ने बताया कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी वर्षों पुरानी परंपरा है। यह प्रतिबंध पेशवा काल से चला आ रहा है। परंपरा के अनुसार, केवल पुरुषों को सुबह छह से सात बजे के बीच शिवलिंग के स्थान पर जाने की अनुमति है। उन्हें भी एक विशेष तरह का कपड़ा पहनकर जाने पर ही प्रवेश दिया जाता है। महिलाओं को मंदिर के गर्भगृह के बाहर से दर्शन की इजाजत है। इसके लिए वैज्ञानिक कारण बताया जाता है कि गर्भगृह क्षेत्र में खास तरह की किरणें निकलती हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर देश का प्रमुख शिव मंदिर है जो नासिक से 30 किलोमीटर पर स्थित है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है। इसलिए दूरदराज से श्रद्धालु यहां आते हैं।
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