आपदा ने आबाद रहने वाला गौरीकुंड को कर दिया वीरान
केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड में यात्रा के समय चहल-पहल रहती थी। स्थानीय लोगों के साथ ही बाहरी क्षेत्रों से भी हजारों लोग रोजगार के लिए यहां पहुंचते थे, लेकिन गत वर्ष की आपदा के बाद से यह कस्बा वीरान पड़ा है। आपदा को एक बरस बीतने को है, लेकिन अभी तक गौरीकुंड मोटर मार्ग से नहीं जुड़ पाया है। केदारनाथ
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड में यात्रा के समय चहल-पहल रहती थी। स्थानीय लोगों के साथ ही बाहरी क्षेत्रों से भी हजारों लोग रोजगार के लिए यहां पहुंचते थे, लेकिन गत वर्ष की आपदा के बाद से यह कस्बा वीरान पड़ा है। आपदा को एक बरस बीतने को है, लेकिन अभी तक गौरीकुंड मोटर मार्ग से नहीं जुड़ पाया है।
केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड आपदा के एक बरस बाद भी बदहाली की दास्तां बयां कर रहा है। गत 16/17 जून की आपदा ने इस कस्बे का नक्शा ही बदल दिया। यात्रा सीजन में दिल्ली व मुंबई की तरह दिन-रात गुलजार रहने वाले कस्बा एक बरस से खामोश है। मंदाकिनी की बाढ़ में गौरीकुड़ का अस्सी फीसदी हिस्सा बह गया। त्रसदी में आवासीय भवन, व्यावसायिक भवनों के साथ धार्मिक व पौराणिक मंदिर भी चपेट में आए। प्रीपेड काउंटर, घोड़ा पड़ाव, तीन बस अड्डे, टैक्सी पार्किंग समेत कई लॉज का अब नामोनिशान नहीं है।
यहां से केदारनाथ के लिए घोड़े व पालकी की आवाजाही होती थी। हजारों मजदूरों का ठिकाना गौरीकुंड होता था। साथ ही बाहरी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग व्यवसाय के लिए आते थे, लेकिन अब सबकुछ बदला सा है। इस कस्बे से यात्री तो गुजर रहे हैं, लेकिन दुकानें बंद हैं। पुलिस चौकी के आसपास ही कुछ लोग हैं। सरकार की बात करें तो आज तक गौरीकुंड को दोबारा मोटर मार्ग से नहीं जोड़ा जा सका है। डेढ़ किमी पैदल चलने के बाद ही पैदल मार्ग से गौरीकुंड बाजार के ऊपर से यात्री केदारनाथ जा रहे हैं। आपदा के बाद आज भी भवनों के इर्दगिर्द भारी मात्रा में मलबा पड़ा हुआ है।