ईद के बाद रखना होगा एक और रोजा
सुन्नी मुसलमानों को रमजान के बाद भी एक रोजा रखना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जानशीन-ए-मुफ्ती आजम हिंद मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां को 29 शाबान के चांद की शहादत मिल गई है, जो अफ्रीका में देखा गया था। लिहाजा एक कजा रोजा यानी रमजान में छूटा रोजा ईद बाद रखने का एलान किया है। रमजान से पहले अजहरी मियां उमरा क
बरेली, जागरण संवाददाता। सुन्नी मुसलमानों को रमजान के बाद भी एक रोजा रखना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि जानशीन-ए-मुफ्ती आजम हिंद मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां को 29 शाबान के चांद की शहादत मिल गई है, जो अफ्रीका में देखा गया था। लिहाजा एक कजा रोजा यानी रमजान में छूटा रोजा ईद बाद रखने का एलान किया है।
रमजान से पहले अजहरी मियां उमरा के लिए चले गए थे। उनके पीछे मरकजी दारुल इफ्ता से रमजान के चांद का ऐलान मौलाना असजद रजा कादरी की सदारत में 29 जून को किया गया। इस तरह 30 जून को पहला रोजा हुआ। ऐलान से पहले मुल्क के सभी प्रमुख शहरों से चांद की शहादत ली गई। कहीं से कोई इत्तला नहीं मिली तो 30 जून को रमजान की पहली तारीख का एलान कर दिया। उसी एतबार से मुसलमानों ने रोजे शुरू कर दिए। अब उमरा से लौटने के बाद अजहरी मियां ने खुलासा किया कि रमजान का चांद 29 शाबान यानी 28 जून को दिख गया था। इस बात की शहादत मदीना में मलावी (अफ्रीका) के रहने वाले मुहम्मद तौफीक ने मुलाकात करके दी। बताया कि चांद अपनी आंखों से देखा है। इस लिहाज से 29 जून को रमजान की पहली तारीख थी, जबकि रोजे 30 जून से शुरू हुए। ऐसे में एक रोजे की कजा लाजिमी है। मरकजी दारुल इफ्ता की रोयते हिलाल कमेटी की तरफ से जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना असजद रजा कादरी और मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने ईद बाद कजा रोजे का आह्वान किया है।
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