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रमजान में बच्चे भी रख रहे रोजे

रमजान के पाक माह में बड़ों के साथ बच्चे भी रोजे रख रहे हैं। गर्मी में प्रतिदिन कई घंटों तक बिना खाना, पानी रहने के बावजूद उनके चेहरे पर कोई शिकन तक दिखाई नहीं देती। मौलाना अब्दुल हसन कहते है कि बच्चों का रोजा रखना फर्ज नहीं होता है। मुस्लिम धर्म में नमाज, जकात, हज समेत पांच फर्ज होते हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण फ

By Edited By: Published: Sat, 05 Jul 2014 04:41 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jul 2014 04:41 PM (IST)

रमजान के पाक माह में बड़ों के साथ बच्चे भी रोजे रख रहे हैं। गर्मी में प्रतिदिन कई घंटों तक बिना खाना, पानी रहने के बावजूद उनके चेहरे पर कोई शिकन तक दिखाई नहीं देती। मौलाना अब्दुल हसन कहते है कि बच्चों का रोजा रखना फर्ज नहीं होता है। मुस्लिम धर्म में नमाज, जकात, हज समेत पांच फर्ज होते हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण फर्ज रोजा रखना है। इस्लाम धर्म के अनुसार बड़ों का रोजा रखना फर्ज है। बच्चों के लिए इसकी बाध्यता नहीं है। नमाज के लिए भी बच्चे समय से पहले की मसजिद में पहुंच जाते हैं। रमजान माह में बच्चें कुरान शरीफ को भी पढ़ना नहीं भूलते है। कलौंदा गांव निवासी तेरह वर्षीय फैजिया का कहना है कि रोजे रखने में किसी तरह की परेशानी नहीं है। अल्लाह रोजेदारों को सब्र देता है। एनटीपीसी परिसर निवासी साहिल 14 वर्ष ने बताया कि रोजा और नमाज दोनों सुकून व शांति देती हैं। कस्बा जारचा के बारह वर्षीय रहमत 12 का कहना है कि रमजान माह में इबादत करते हुए दिन कब बीत जाता है, इसका पता नहीं चलता।

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अरविंद


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