नंदा की अगवानी को उमड़ा जन समुद्र
अद्भुत है यह दृश्य, अविस्मरणीय और अतुलनीय। नंदा गीतों की धुनों के बीच गढ़ नरेशों की प्राचीन राजधानी चांदपुरी गढ़ी के वीरान भग्नावशेषों में मानो राजसी वैभव लौट आया हो। किले के परकोटे के ठीक सामने घास के हरे-भरे मैदान में जमा 60 से 70 हजार का जन सैलाब देवी नंदा के दर्शनों को ब
सेम [चमोली], जागरण संवाददाता। अद्भुत है यह दृश्य, अविस्मरणीय और अतुलनीय। नंदा गीतों की धुनों के बीच गढ़ नरेशों की प्राचीन राजधानी चांदपुरी गढ़ी के वीरान भग्नावशेषों में मानो राजसी वैभव लौट आया हो। किले के परकोटे के ठीक सामने घास के हरे-भरे मैदान में जमा 60 से 70 हजार का जन सैलाब देवी नंदा के दर्शनों को बेताब है। डोली के पहुंचते ही टिहरी राजपरिवार के प्रतिनिधि ठाकुर भवानी प्रताप सिंह यात्रा का स्वागत सत्कार किया। करीब एक घंटे यहां ठहरने के बाद यात्रा आगे बढ़ी और देर शाम अपने चौथे पड़ाव सेम पहुंची।
बुधवार देर शाम राजकुंवरों के गांव कासुंवा पहुंची नंदा का भव्य स्वागत किया गया। राजजात की अगुआई कर रहे चौसिंग्या खाडू (चार सींग वाला मेढ़ा) और राज छंतोली की पूजा अर्चना के बाद भक्तों ने देवी नंदा के दर्शन किए। इस बीच नंदा के अगुआन कैलापीर, नंदा की बहन भराड़ी देवी और पुत्र गणेश की पूजा की गई। रातभर जागर और भजन कीर्तन का दौर चलता रहा। बृहस्पतिवार सुबह ठीक छह बजे एक बार फिर पूजा अर्चना का कार्यक्रम शुरू हुआ। दो घंटे तक चले कार्यक्रम के बाद राज छंतोली को राजकुंवरों के घर स्थित प्राचीन मंदिर में ले जाया गया। राजकुंवरों की ईष्ट देवी होने के कारण यहां नंदा राजराजेश्वरी के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि देवी प्रत्येक बारह साल में स्वयं मंदिर के कपाट खोलती हैं। नंदा के कैलाश पहुंचने के बाद यात्रा के विश्राम लेने पर कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
मंदिर के कपाट खुलने के बाद राजकुंवरों के परिवार ने यहां पूजा अर्चना की। पूजा में राजकुंवर यशवंत सिंह, डॉ. राकेश कुंवर और कुंवर दिग्विजय सिंह आदि शामिल हुए। ठीक 10.45 पर डोली अपने अगले पड़ाव सेम के लिए रवाना हुई। कांसुवा से ढाई किलोमीटर दूर बिल्वेश्वर महादेव मंदिर में दर्शनों के बाद यात्रा आगे बढ़ी और मिरोली, मंडल होते हुए 2.35 बजे गढ़वाल की प्राचीन राजधानी चांदपुर गढ़ी पहुंची। यहां टिहरी राजपरिवार के प्रतिनिधि ठाकुर भवानी प्रताप सिंह ने राजजात की अगवानी की। गढ़ी में गढ़वाल और कुमाऊं के ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों लोगों ने डोली के दर्शन किए। जन सैलाब का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस दौरान कर्णप्रयाग मार्ग पर करीब आठ किलोमीटर लंबा जाम लग गया।
गढ़ी में स्थित दक्षिण काली मंदिर में पूजा अर्चना के बाद ठाकुर भवानी प्रताप ने कांसुवा के राजकुंवर डॉ.राकेश को पगड़ी और तलवार भेंट की। यहां से यात्रा 3.40 बजे रवाना हुई। इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले गांवों से यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। देर शाम यात्रा सेम पहुंची। शुक्रवार को नंदा राजजात अगले पड़ाव कोटी के लिए प्रस्थान करेगी।