संतानहीन चीनी महिलाएं इस मंदिर में शिव का आशीर्वाद लेने आती थीं
अर्थशास्त्र के अनुसार करीब 221 ईसा पूर्व में शिन हुआंग टी ने चीन नामक साम्राज्य की स्थापना की थी जिसे बाद में चीन के नाम से जाना गया।
भगवान शिव प्राचीन चीन में पू्ज्य थे। बौद्ध धर्म की प्रधानता वाले इस देश में पहले भगवान शिव की पूजा की जाती थी। दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य 'महाभारत' में उल्लेखित है कि उत्तरी और पूर्वी साम्राज्यों के शासक, जिन्हें चीन कहा जाता था।
चाणक्य ने अपने ग्रंथ अर्थशास्त्र में चीनी सभ्यता का उल्लेख किया है। अर्थशास्त्र के अनुसार करीब 221 ईसा पूर्व में शिन हुआंग टी ने चीन नामक साम्राज्य की स्थापना की थी जिसे बाद में चीन के नाम से जाना गया।
चीन के क्वानज़ाउ के शिनमेन क्षेत्र में स्थित फुजियान प्रांत में प्राचीन शिव मंदिर के अवशेष मौजूद हैं, जहां 5 फीट लंबा शिवलिंग वर्तमान में भी देखा जा सकता है। यह शिवलिंग जिस मंदिर में है, वह पूरी तरह ध्वस्त है लेकिन फिर भी इसके अवशेषों और शहर की दीवारों पर वैदिक धर्म से संबंधित नक्काशी मिलती है।
इस मंदिर पत्थर को 1011 ई.पू. में काटा गया था लेकिन फिर 1400 ईसवी में इसे दोबारा निर्मित किया गया। यहां तक कि वर्ष 1950 तक संतानहीन चीनी महिलाएं इस मंदिर में शिव का आशीर्वाद लेने आती थीं।
मूल रूप से भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को तांग साम्राज्य द्वारा 685 ईसवी में बनवाया गया था लेकिन चीन में रहने वाले तमिल समुदाय ने 13वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में फिर इस मंदिर की मरम्मत करवाई थी। चीन में ऐसे कई प्रमाण मिलते हैं जो यह साबित करते हैं कि छठी शताब्दी की शुरुआत तक यहां हिन्दू धर्म से जुड़े काफी मंदिर हुआ करते थे।
चीन के ही लो-यांग जिले के सुआन वु क्षेत्र में एक ऐसा खंबा है, जिस पर ऊपर से लेकर नीचे तक संस्कृत भाषा में ही लिखा गया है। हिन्दू धर्म में जिन धर्मराज यम को मौत और यमलोक का देवता कहा गया है, उन्हें चीनी परंपराओं में भी यनमो वांग नाम से पुकारा जाता है।