रजत के हिंडोले पर झूले बांके बिहारी
सोने का झूला, चांदी की डोर। बुधवार को हरियाली तीज पर इस पर जमकर झूले प्रभु बांके बिहारी जी। वह हरी घटाओं के बीच मंदिर के पट बंद होने तक झूलते रहे। मंदिर के कोने-कोने में हरियाली नजर आ रही थी। जगमग रोशनी से सराबोर मंदिर प्रांगण में लाडले ठा. बांकेबिहारी जी के लिए आकर्षक स्व
वृंदावन, जागरण संवाददाता। सोने का झूला, चांदी की डोर। बुधवार को हरियाली तीज पर इस पर जमकर झूले प्रभु बांके बिहारी जी। वह हरी घटाओं के बीच मंदिर के पट बंद होने तक झूलते रहे। मंदिर के कोने-कोने में हरियाली नजर आ रही थी।
जगमग रोशनी से सराबोर मंदिर प्रांगण में लाडले ठा. बांकेबिहारी जी के लिए आकर्षक स्वर्ण-रजत हिंडोला सजाया गया था। इस पल के दर्शन देश-दुनिया के लाखों लोगों ने किए। भगवान श्रीबांकेबिहारी जी के दर्शन करने के लिए भीड़ का रेला सुबह से शाम तक टूटता रहा। भक्तों ने सुबह से दोपहर तक बिहारीजी के दर्शन किए। दोपहर बारह बजे मंदिर के पट बंद होने पर मंदिर प्रबंधन स्वर्ण-रजत हिंडोले की तैयारी में जुट गया। शाम चार से पहले मंदिर के बाहर और गलियों में भीड़ जमा हो गई। चार बजे मंदिर के पट खुले तो भीड़ का रेला मंदिर में दर्शन को प्रवेश कर गया। हिंडोला दर्शन का क्रम रात तक चलता रहा।
सुख सेज पर किया विश्राम
ठा. बांकेबिहारी महाराज ने श्रद्धालुओं को स्वर्ण-रजत हिंडोले में दर्शन देने के उपरांत रात्रि विश्राम सुख सेज पर किया। मंदिर सेवायत आचार्य गोपी गोस्वामी ने बताया कि बिहारीजी श्रद्धालुओं को झूले में दर्शन देने के उपरांत थक जाते हैं। उन्हें आराम देने के लिए पूरे साल में एक दिन सुख सेज पर ले जाया जाता है। यहां पर पान का बीड़ा, रजत कलश में पानी, रजत कंघी, आदमकद रजत आइना एवं लड्डू आदि सेज के समीप रखे गए।