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कोणार्क मंदिर की थ्रीडी लेजर स्केनिंग

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) जल्द ही थ्रीडी लेजर स्केनिंग तकनीक के माध्यम से कोणार्क स्थित विश्वप्रसिद्ध सूर्य मंदिर की भीतरी दीवारों का अध्ययन करेगा। एएसआइ विशेष तौर से मंदिर के बालू से निर्मित जगमोहन हिस्से की जांच करेगा।

By Edited By: Published: Fri, 17 Feb 2012 03:53 AM (IST)Updated: Fri, 17 Feb 2012 03:53 AM (IST)

भुवनेश्वर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) जल्द ही थ्रीडी लेजर स्केनिंग तकनीक के माध्यम से कोणार्क स्थित विश्वप्रसिद्ध सूर्य मंदिर की भीतरी दीवारों का अध्ययन करेगा। एएसआइ विशेष तौर से मंदिर के बालू से निर्मित जगमोहन हिस्से की जांच करेगा।

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एएसआइ के महानिदेशक गौतम सेनगुप्ता ने बताया कि इंडोस्कोपी कैमरों की मदद से मंदिर के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीरें ली जाएंगीं। मंदिर के जगमोहन हिस्से को चारों तरफ से बंद कर दिया गया है। कोणार्क मंदिर को ब्लैक पैगोडा भी कहा जाता है। इसका निर्माण 13वीं सदी में हुआ था। एएसआइ मंदिर के शेष बचे हिस्से को संरक्षित करने के प्रयास में जुटा है। इसी कड़ी में मंदिर की थ्रीडी लेजर स्केनिंग की जाएगी। ओडि़शा सरकार ने राज्य के अन्य इमारतों को संरक्षित करने के लिए भी एएसआइ से अनुरोध किया है।

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