कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का खामियाजा भुगतता पंजाब, कारोबारी ही नहीं, खुद किसान भी परेशान
पंजाब में किसान कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इसके कारण राज्य में मालगाड़ियों का आवाजाही पूरी तरह से बंद है। इसका खामियाजा राज्य के उद्योगों व खुद किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है।
लुधियाना/पठानकोट [मुनीश शर्मा/विनोद कुमार]। पंजाब मेें किसान आंदोलन के कारण मालगाडिय़ों का परिचालन डेढ़ माह से ज्यादा से ठप है। इससे अब खुद किसान ही त्रस्त होने लगा है, क्योंकि राज्य में यूरिया की कमी हो गई है, जिसका असर गेहूं की बिजाई पर पड़ने लगा है। कारोबारी ट्रकों से माल भेजने को मजबूर हैं, लेकिन ट्रकों की भी शार्टेज है और मांग ज्यादा देखते हुए भाड़ा बढ़ा दिया गया है।
पंजाब के लगभग सभी जिलों में किसानों को यूरिया की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। यूरिया नहीं मिलने के कारण बठिंडा में वीरवार को किसानों ने एनएफएल का घेराव भी किया। पठानकोट में हालात ऐसे हो गए कि कृषि विभाग के पास यूरिया की जीरो स्टोरेज हैं।
पठानकोट में अभी तक दस फीसद रकबे में ही गेहूं लगा है। खेतीबाड़ी अफसर डाक्टर हरतरन पाल सिंह ने कहा कि रेल आवागमन न होने के कारण यूरिया नहीं पहुंच रहा। विभाग के पास फिलहाल एक भी बोरी नहीं है। विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंंह चीमा ने कहा कि यूरिया की कमी को पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी है। किसान पड़ोसी राज्यों से यूरिया लाने को मजबूर हैं।
कमी झेलते किसान ठहरा रहे हैैं प्रदर्शनकारियों को जिम्मेदार
यूरिया की कमी झेलते किसानों में इस बात को लेकर भी रोष पनपने लगा है कि धरने पर बैठे किसानों के कारण उनको नुकसान होने लगा है। पठानकोट के जमींदार विक्रम सिंह विक्कू ने कहा कि उनके खेत पूरी तरह से तैयार है लेकिन अभी तक एक भी बोरी नहीं पहुंची। कंडी इलाके के कृषक अमरजीत सिंह ने कहा कि रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों को यह भी देखना चाहिए कि दूसरे जिलों के किसानों को आॢथक रूप से नुकसान न हो। समय पर यूरिया नहीं मिला तो झाड़ न के बराबर रहेगा।
हिमाचल व जेएंडके से खरीदने को मजबूर
पंजाब में यूरिया की बोरी की कीमत 265 रुपये थी। अब कुछ किसान जम्मू कश्मीर व हिमाचल प्रदेश से 350 से 365 रुपये में ब्लैक में लेकर आ रहे हैं ताकि फसल बचाकर परिवार की रोजी-रोटी चला सकें।
माल ढुलाई के लिए ट्रकों की भी कमी, दाम 25 फीसद तक बढ़े
उद्यमी व कारोबार ट्रकों से माल भेजने व लाने को मजबूर हैैं लेकिन अब दिक्कत यह खड़ी हो गई है कि ट्रक भी पर्याप्त संख्या में नहीं मिल रहे। यही नहीं, ट्रकों का भाड़ा भी 25 फीसद तक बढ़ा दिया गया है। लुधियाना से कोलकाता के लिए पहले 40 हजार रुपये किराया बनता था जो अब 50 हजार रुपए तक हो गया है। बेंगलुरू का भाड़ा पहले 45 हजार था जो अब 55 हजार हो गया है । माल भेजने के लिए ट्रांसपोर्ट कंपनियों में वेटिंग चल रही है। दूसरे राज्यों से भी ट्रक मंगवाने पड़ रहे हैैं। दूर के राज्यों को माल भेजने के लिए दो बार ट्रक बदलने पड़़ रहे हैैं।
लुधियाना फरीदाबाद ट्रांसपोर्ट के जगदीश ङ्क्षसह जस्सोवाल ने कहा कि मालगाडिय़ों से भेजे जाने वाले हैवी मटीरियल को ट्रकों से भेजने में अधिक समय और ईंधन लगता है। लुधियाना गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रधान दीदार सिंह ने कहा कि ट्रकों के भाड़े में इजाफे की वजह दूसरे राज्यों के लिए जाने वाले ट्रकों की लोडिंग- अनलोडिंग का खर्च बढ़ जाना भी है। स्टाफ को भी अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं।
यूनाइटेड साइकिल एवं पार्ट्स मैनुफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रधान डीएस चावला का कहना है कि कमी के कारण दूसरे राज्यों से ट्रकों की बुकिंग करनी पड़ रही है जो महंगे पड़ रहे हैैं। निटवियर क्लब के प्रधान दर्शन डावर के मुताबिक माल की डिलीवरी बड़ी चुनौती है। अगर हमें देरी हुई तो हमारा विंटर सीजन पिट जाएगा। इसलिए ज्यादा भाड़ा देकर भी ट्रक मंगवाना मजबूरी है।
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