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गैस लीक : केवल याद रखा अपना फर्ज

खन्ना (लुधियाना) : दोराहा में टैंकर से अमोनिया गैस के लीक के बाद चले राहत व बचाव कार्य में शानदार कार्य कर फायर अफसर यशपाल गोमी और फायरमैन सुखदीप सिंह हीरो बन गए हैं। अमोनिया गैस से मची तबाही का मंजर देखने के बाद भी इनका हौसला नहीं टूटा। ये

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2015 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2015 09:41 PM (IST)
गैस लीक : केवल याद रखा अपना फर्ज

धरमिंदर सिंह, खन्ना (लुधियाना) : दोराहा में टैंकर से अमोनिया गैस के लीक के बाद चले राहत व बचाव कार्य में शानदार कार्य कर फायर अफसर यशपाल गोमी और फायरमैन सुखदीप सिंह हीरो बन गए हैं। अमोनिया गैस से मची तबाही का मंजर देखने के बाद भी इनका हौसला नहीं टूटा। ये दाेनों अपने साथियों के साथ बिना जान की परवाह किए गैस के असर को खत्म करने में जुटे रहे। लीक कर रहे टैंकर को भी उन्होंने ही वहां से हटाया।

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'मिशन फतेह' का असली काम गैस टैंकर को फ्लाईओवर के नीचे से निकालकर गैर रिहायशी इलाके में ले जाना था, जहां पर नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) अपनी तकनीक से गैस रिसाव रोकती। शुक्रवार रात को राहत कार्यों के दौरान लुधियाना की एक दमकल गाड़ी के चालक को गैस चढ़ गई थी और बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल भर्ती करवाया गया था। इसलिए हर कोई डर-डर कर काम कर रहा था।

सभी को अपनी जान और परिवार का फिक्र था। ऐसे समय में समराला फायर स्टेशन के फायर अफसर यशपाल गोमी और खन्ना फायर स्टेशन के फायरमैन सुखदीप सिंह ने हिम्मत जुटाते हुए अधिकारियों से कहा कि वे दोनों टैंकर को निकालेंगे। दोनों ने अच्छी तरह से रुमाल गीले करके अपने मुंह पर बांधे, ताकि गैस का असर न हो। सुखदीप चालक सीट पर बैठ गया और गोमी परिचालक की सीट पर।

गोमी ने पानी की बोतल पास ली थी, ताकि जरूरत पडऩे पर वे इस्तेमाल कर लें। रिकवरी वैन की मदद से टैंकर को फ्लाईओवर से निकालने पर गैस रिसाव तेज हुआ तो सभी पीछे की ओर हटने लगे। गोमी मार्गदर्शन करता रहा और सुखदीप बिना किसी डर के टैंकर को निकालकर करीब 15 मिनट में नहर पुल गुरथली के पास खेतों में ले गया। वहां पर एनडीआरएफ, आइटीबीपी और फायर बिग्रेड ने संयुक्त ऑपरेशन चलाकर ढाई बजे तक गैस रिसाव रोका।

गैस रिसाव रुकने पर फायर स्टेशन समराला का चालक अमित कुमार टैंकर को चलाकर माछीवाड़ा में गांव ईसापुर से थोड़ी दूर सतलुज दरिया किनारे खुली जगह में लेकर पहुंचा। इस दौरान भी परिचालक की सीट पर फायर अफसर गोमी बैठा था, जो अमित का मार्गदर्शन करता रहा।

मौत किसी से पूछकर या बताकर नहीं आती : गोमी

फायर अफसर यशपाल गोमी ने जागरण से बातचीत में कहा कि मौत किसी से पूछकर या बताकर नहीं आती। इसका समय और स्थान तय होता है। इस अटल सच्चाई को मन में धारण करके उन्होंने गैस टैंकर को फ्लाईओवर से निकालने के लिए कदम आगे बढ़ाए और चालक सुखदीप को भी हौसला दिया। परमात्मा की अपार कृपा से वे दोनों अपने मिशन में सफल रहे। इससे क्षेत्र में और तबाही मचने से बच गई।

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उन्होंने कहा, हमें ड्यूटी के दौरान यही सिखाया जाता है कि अपनी जिम्मेवारी से कभी मत भागना। हमारा फर्ज जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाना है। इसी मकसद से हमेशा ड्यूटी करते रहेंगे और जान की परवाह नहीं करेंगे। मैैंने किसी सम्मान के लिए हिम्मत नहीं दिखाई। फर्ज को समझते हुए साहस से काम किया।

शुक्रवार रात 12 बजकर 2 मिनट पर समराला फायर स्टेशन पर गैस रिसाव की सूचना मिली थी। 20 मिनट बाद समराला की दो दमकल गाडिय़ां वहां पहुंच गई थीं और राहत कार्य शुरू कर दिए गए थे। मदद के लिए लुधियाना, खन्ना और शनिवार सुबह मंडी गोबिंदगढ़ से दमकल गाड़ी मंगवाई गई थी।

रात भर राहत कार्यों में जुटे रहे फायर कर्मी
फायर अफसर यशपाल गोमी के मुताबिक, सभी फायर कर्मी राहत कार्यों में जुटे हुए थे। समराला की एक गाड़ी में अवतार सिंह, तेजिंदर सिंह, जसविंदर सिंह, गुरमीत सिंह (सभी फायर कर्मी) और चालक अमित कुमार मौके पर आए थे। दूसरी गाड़ी में हरमन, नीरज कुमार, वीर दविंदर, जसविंदर (सभी फायरमैन) और चालक सतिंदरजीत सिंह आए थे।

रातभर इनमें से किसी ने न तो कुछ खाया और न ही पीया। बस इसका मेन निशाना गैस रिसाव रोककर लोगों की जान बचाना था। सुबह कहीं जाकर सुबह 6 बजे एक लंगर से सभी को परांठे मिले और साथ में चाय पीकर वे फिर मिशन में जुट गए। 18 घंटे में मिशन पूरा होने के बाद सभी ने सफलता के लिए परमात्मा का शुक्रिया अदा किया।

फायर अफसर पिता के साथ मिशन में डटा रहा बेटा

दोराहा गैस त्रासदी में जिसेन भी इस जांबाज बेटे की हिम्मत की बात सुनी और देखी दाद दिए बिना नहीं रह सका। गैस रिसाव की सूचना मिलने पर जब फायर अफसर यशपाल गोमी घर से गाड़ी निकालने लगे तो 19 का उनका बड़ा बेटा युवराज भी गाड़ी में बैठ गया और कहा कि वह भी चलेगा। वह मंडी गोबिंदगढ़ के रिमट कॉलेज में कंप्यूटर साइंस का डिप्लोमा कर रहा है। गोमी ने सोचा था कि बेटा उन्हें वहां छोड़कर गाड़ी वापस ले आएगा।

गैस के रिसाव से बचने का बचने का उपाय उन्हें पहले ही पता था। मौके पर पहुंचकर जब तबाही का मंजर देखा तो बेटे को अकेला वापस भेजने की हिम्मत नहीं पड़ी। बेटे का जिगर देखिए कि पापा से बोला वह उनके साथ मदद करेगा। दोनों बाप-बेटा ने रुमालें गीली करके मुंह पर बांध लीं और दमकल गाड़ी के पास पहुंच गए। गोमी ने पानी की पाइप पकड़ते हुए हवा के विपरीत जाकर टैंकर पर पानी की बौछार करनी शुरू की और अन्य कर्मियों को भी ऐसा करने के लिए कहा।

विभाग के कर्मचारी जब दमकल गाड़ी में साथ-साथ पानी भर रहे थे, तो गोमी का बेटा युवराज शर्मा भी काम में हाथ बंटाने लगा। राहत कार्य में जुटे युवराज ने न तो अपने पिता की चिंता की और न ही वह डरा और घबराया। पूरे 18 घंटे मिशन में पिता के साथ हाथ बंटाया और शनिवार देर शाम को बाप-बेटा जब घर पहुंचे तो सभी ने भगवान का शुक्रिया अदा किया।

पिता को देखकर आया हौसला : युवराज
फायर अफसर यशपाल गोमी के बेटे युवराज शर्मा ने कहा कि मौके पर पिता को राहत कार्य में जुटा देखकर उसमें भी हौसला भर आया और वह राहत कार्य में हाथ बंटाने लगा। फिर उसका मन ही नहीं माना कि वह घर चला जाए। इसलिए मिशन के 18 घंटे में वह अपने पिता के साथ रहा और जितना हो सका, काम करता रहा।

...मगर नहीं टूटने दिया हौसला
फायरमैन सुखदीप सिंह ने कहा कि शनिवार की सुबह उनके अफसर यशपाल गोमी ने हिम्मत दिखाई, तो वह भी टैंकर चलाने के लिए तैयार हो गया। एक बार तो मन में पत्नी संदीप कौर व 4 वर्षीय बेटे जसकीरत सिंह का ख्याल आकर आंखों में आंसू आ गए थे, मगर उसने अकाल पुरख वाहेगुरु का नाम लेकर टैंकर के स्टेङ्क्षरग
को हाथ डाला और फिर टैंकर को निकालकर ले गया।

ठेके पर भर्ती, 6700 वेतन और हौसला पहाड़ से भी बड़ा
करीब नौ महीने पहले फायर स्टेशन खन्ना में ठेके पर भर्ती हुए सुखदीप सिंह को मासिक वेतन 6700 रुपये मिलता है, लेकिन, उसने यह नहीं सोचा कि वह अस्थायी कर्मचारी है या स्थायी। पहाड़ से भी बड़ा हौसला दिखाकर सुखदीप ने दोराहा गैस टैंकर मिशन को फतेह करवाने में सबसे अहम योगदान दिया।


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