जम्मू-कश्मीर ने बैराज प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य रोका
श्याम लाल/कमल कृष्ण, पठानकोट
बिजली उत्पादन के मामले में पंजाब की महत्वाकांक्षी योजना बैराज प्रोजेक्ट के निर्माण को जम्मू-कश्मीर सरकार ने रोक दिया है। जम्मू-कश्मीर के जिला कठुआ डिप्टी कमिश्नर डा. शाहिद इकबाल चौधरी जिले के एसएसपी के साथ शनिवार को स्वयं बैराज प्रोजेक्ट पर आए और उन्होंने राजस्व अधिकारियों के साथ मिल कर निर्माण की समीक्षा की।
जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों की टीम जब बैराज पर पहुंची तो निर्माण बंद था परंतु कठुआ के एसएसपी ने मौके पर ही अपने थाना प्रभारी को निर्देश दिए कि बैराज पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं करने दिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी तरह का निर्माण किया गया तो काम में लगी मशीनरी को जब्त करने के साथ-साथ काम कर रहे मजदूरों को भी हिरासत में ले लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब ने बिना जम्मू-कश्मीर सरकार की अनुमति के बैराज का निर्माण आरम्भ कर दिया है।
डीसी कठुआ का तर्क
डीसी डा. चौधरी ने उन्होंने तर्क दिया कि पंजाब ने रणजीत सागर बांध की झील से सिंचाई के लिए पानी लेने के संबंध में किए गए समझौते का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि
पंजाब की लापरवाही का खामियाजा जम्मू-कश्मीर दस साल से भुगत रहा है। समझौते के अनुसार पंजाब को 2004 में बैराज प्रोजेक्ट का निर्माण करना था परंतु इसे दस साल बाद आरम्भ किया गया। पंजाब की इस लेट लतीफी से जम्मू-कश्मीर की योजनाएं प्रभावित हुई।
डीसी पठानकोट ने कहा, नहीं है जानकारी
जम्मू-कश्मीर के जिला कठुआ के डीसी की ओर से बैराज प्रोजेक्ट पर चल रहे निर्माण को बंद करवाने के बारे में जब पठानकोट के डीसी सुखबिंदर सिंह से संपर्क किया गया गया उन्होंने ऐसी किसी भी जानकारी से इंकार किया।
बांध परियोजना के एक्सईएन ने कार्य रोके जाने की पुष्टि की
इसके विपरीत रणजीत सागर बांध परियोजना के चीफ इंजीनियर के निजी सचिव एक्सईएन सुधीर ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस प्रयास की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को इसकी सूचना दे दी गई है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में पांच सितंबर को दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी रैंक के अधिकारियों में बात हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब के रणजीत सागर बांध परियोजना की दूसरी ईकाई बैराज प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित जिस जगह पर निर्माण चल रहा है उसका एक छोर पंजाब में तो दूसरा जम्मू-कश्मीर की ओर है। बैराज का निर्माण होने के बाद इसका पानी भी दो हिस्सों में बांटा जाना है। दोनों राज्य इस पानी को सिंचाई के लिए इस्तेमाल करेंगे। पंजाब इस परियोजना से जहां उत्साहित है वहीं जम्मू-कश्मीर को लगता है कि समय पर काम नहीं करके पंजाब ने 2004 में हुए समझौते का उलंघन किया है।
दोनों राज्यों के बीच यह हुआ था समझौता
बैराज प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच समझौता हुआ था कि रंजीत सागर बांध की झील से सिंचाई के लिए जम्मू-कश्मीर को पानी देने की बजाए बैराज निर्माण के बाद नहर निकाल कर पानी दिया जाएगा। यह पानी नहर के जरिए जम्मू-कश्मीर के कठुआ से होते हुए सांबा तक जाना था। इससे सिंचाई की जानी थी। इसके साथ ही समझौते के अनुसार पंजाब ने जम्मू-कश्मीर को भुगतान भी करना था। पड़ोसी राज्य इस बात से आहत है कि उसे जहां समझौते के अनुसार पूरा पैसा नहीं मिला वहीं वह दस साल तक बिना सिंचाई के भी रह गया।
इसके विपरीत पंजाब का तर्क है कि काम केवल देरी से हुआ है और भुगतान में दस करोड़ 2004 में ही दे दिया गया था। बहरहाल दोनों राज्यों में अब जबकि ठन चुकी है ऐसे में देखना यह होगा कि बैराज प्रोजेक्ट के मसले को दोनों प्रांत कैसे सुलझाते हैं।