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आरएसएस नेता हत्याकांड में आधार कार्ड पहुंचा सकता है पुलिस को हत्यारों तक

आरएसएस नेता रविंदर गोसाईं हत्याकांड में आरोपियों के फिंगर प्रिंट्स मिले हैं। अब इन्हें मैच कर आधार कार्ड के आधार पर पुलिस आरोपियों तक पहुंच सकती है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 22 Oct 2017 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 22 Oct 2017 09:47 AM (IST)
आरएसएस नेता हत्याकांड में आधार कार्ड पहुंचा सकता है पुलिस को हत्यारों तक

चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। लुधियाना में कुछ दिन पहले कैलाश नगर रोड पर स्थित गगनदीप कॉलोनी में आरएसएस नेता रविंदर गोसाईं की हत्या के मामले में पुलिस ने हत्यारों के करीब पहुंच कर पड़ताल धीमी कर दी है। अभी तक पंजाब में छह धार्मिक हस्तियों की हत्या के बाद यह पहला मामला है, जब पुलिस को हत्यारों के फिंगर प्रिंट्स मिले हैं। इसके बाद भी तीन दिन में पुलिस फिंगर प्रिंट्स का इस्तेमाल करके हत्यारों तक नहीं पहुंच पाई है। अगर आधार कार्ड से हत्यारों के फिंगर प्रिंट्स मैच किए जाएं, तो पुलिस को हत्यारों तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। इसके बाद भी पुलिस आधार कार्ड से फिंगर प्रिंट्स मैच नहीं करवा रही है। उधर, आज डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने मृतक आरएसएस नेता के घर का दौरा किया।

बीती 17 अक्टूबर को लुधियाना में सुबह बाइक सवार दो युवकों ने रविंदर गोसाईं की हत्या गोली मारकर कर दी थी। हत्या को अंजाम देने के बाद हत्यारे पीले रंग की बाइक से मौके से फरार हो गए थे। सीसीटीवी फुटेज में बाइक सवार हत्यारों की तस्वीरें कैद होने के अगले दिन लुधियाना जालंधर रोड पर झाडिय़ों से हत्याकांड में इस्तेमाल की गई बाइक पुलिस को मिली थी।

बाइक मिलने की सूचना भी पुलिस को आम नागरिक ने दी थी। उसके बाद लुधियाना के एक व्यापारी तक पुलिस पहुंची तो पता चला कि बीती 10 अक्टूबर को बाइक चोरी हो गई थी। उसके बाद से पूरे मामले में पुलिस की तफ्तीश बाइक और उसके पंजीकरण नंबर से लेकर सीसीटीवी फुटेज तक ही टिकी हुई है। बीते दिन आरएसएस के प्रतिनिधिमंडल की मांग पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मामले की जांच एनआइए को सौंपने की घोषणा की थी। इसके बाद पुलिस की पड़ताल और धीमी हो गई है।

पंजाब में 95 फीसद से ज्यादा नागरिकों के आधार कार्ड बनाने का काम पूरा किया जा चुका है। केवल उन्हीं लोगों के आधार कार्ड अभी तक नहीं बन सके हैं, जो दूसरे राज्यों से आए हैं या मजदूर तबके से संबंधित हैं। इनके भी आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। बाइक सवार हत्यारों का हुलिया देखने के बाद स्पष्ट कि उनक आयु 20 से 25 साल के बीच के हैं।

बड़े पुलिस अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार करते हैं कि जब बाइक मिल चुकी है और हत्यारों ने दस्ताने नहीं पहने थे, तो बाइक पर फिंगर प्रिंट्स जरूर होंगे। ऐसे में अगर हत्यारों के फिंगर प्रिंट्स आधार कार्ड से मैच करवाए जाएं तो पुलिस जल्द ही हत्यारों तक पहुंच सकती है। इस बात की उम्मीद कम ही है कि हत्यारों ने आधार कार्ड न बनवाया हो।

पहले हुए छह मामलों में नहीं मिला था पुलिस कोई सुराग

धार्मिक हस्तियों की बीते दो सालों में की गई हत्याओं में पंजाब पुलिस को अभी तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। यह पहला मामला है जब पुलिस को हत्याकांड को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल की गई बाइक मिली है। सभी हत्याओं व हमलों में हत्यारों ने बाइक का ही इस्तेमाल किया था और दो ही हत्यारे या हमलावर सभी मामलों में शामिल थे। इस बार भी दो ही हत्यारे गोसाईं की हत्या के लिए बाइक से आए थे।

19 जनवरी 2016 में लुधियाना में संघ का शाखा पर बाइक सवार दो युवकों ने हमला किया था। नरेश कुमार बाल-बाल बच गए थे। इसके बाद 23 अप्रैल 2016 को माता चंद कौर की हत्या भी बाइक सवार दो युवकों ने की थी। 6 अगस्त 2016 को जालंधर में संघ के नेता जगदीश गगनेजा की हत्या भी बाइक सवार दो युवकों ने की थी। 14 जनवरी 2017 को हिंदू तख्त के प्रधान अमित शर्मा व 25 जनवरी को डेरा सच्चा सौदा के समर्थक सतपाल शर्मा व उनके बेटे रमेश के बाद 16 जून 2017 को लुधियाना में पास्टर सुल्तान मसीह की हत्या भी बाइक सवार दो युवकों ने कर दी थी। इन हत्याओं को लेकर हत्यारों का कोई सुराग पुलिस को नहीं मिला है।

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