High Court: लंबे समय तक जीवनसाथी से संबंध न बनाना पत्नी की क्रूरता, हाई कोर्ट ने कहा- पति तलाक का हकदार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि शारीरिक रूप से अक्षम होने या किसी अन्य वैध कारण के बिना लंबे समय तक संबंध न बनाना पति के प्रति पत्नी की मानसिक क्रूरता है। पत्नी आठ साल से पति से अलग रह रही है और संबंध भी नहीं बने इस क्रूरता के लिए पति तलाक का हकदार है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि शारीरिक रूप से अक्षम होने या किसी अन्य वैध कारण के बिना लंबे समय तक संबंध न बनाना पति के प्रति पत्नी की मानसिक क्रूरता है। पत्नी आठ साल से पति से अलग रह रही है और संबंध भी नहीं बने इस क्रूरता के लिए पति तलाक का हकदार है।
2016 से ही पति से अलग रह रही है पत्नी
हरियाणा निवासी महिला ने फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को चुनौती दी थी। बताया कि उसका विवाह 1999 में हुआ था। इसके बाद दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे। 2016 में पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन कर दिया था, जिस पर 2019 में फैमिली कोर्ट ने तलाक का आदेश दिया था। वह 2016 से ही पति से अलग अपनी दो बेटियों के साथ रह रही है।
शारीरिक संबंधों पर हाईकोर्ट ने कही ये बात
याची के पति ने बताया कि याची एक धार्मिक समूह का हिस्सा बन चुकी है और लंबे समय से उनके बीच संबंध भी नहीं बने हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि यदि एक व्यक्ति लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करता है तो वह दूसरे के प्रति मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। मानसिक क्रूरता केवल तब नहीं मानी जा सकती है जब संबंध बनाने से इन्कार करने वाला साथी शारीरिक रूप से सक्षम न हो या फिर उसके पास ऐसा करने के लिए कोई वैध कारण हो।
तलाक के आदेश पर मोहर लगा दी
इस मामले में दंपती लंबे समय से अलग-अलग रह रहे हैं और उनके रिश्तों में सुधार की कोई संभावना नहीं है। ऐसे में फैमिली कोर्ट ने तलाक का आदेश जारी करते हुए कोई गलती नहीं की है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए तलाक के आदेश पर मोहर लगा दी।