21 युवकों की हत्या मामले में कैप्टन के खिलाफ मानवाधिकार आयोग पहुंची DSGPC
30 साल पहले 21 सिख युवकों की हत्या के कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान का मामला गर्मा गया है। डीएसजीपीसी ने इस बारे में मानवाधिकार आयोग में याचिका दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़/नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल कर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। उन पर 21 सिख युवकों के कत्ल की साजिश रचने, सच को 30 वर्ष तक छिपाने, सुबूतों को नष्ट करने का मौका देने और दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाया गया है।
डीएसजीपीसी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने कहा कि 17 मई को कैप्टन ने ट्वीट करके यह स्वीकार किया है कि लगभग 30 वर्ष पहले पंजाब पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले 21 सिख युवकों की हत्या कर दी गई है। इसलिए इंसाफ के लिए मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है।
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उन्होंने आयोग से पंजाब के मुख्यमंत्री को बुलाकर मारे गए युवकों और दोषी पुलिस अधिकारियों का नाम पूछने, पंजाब पुलिस प्रमुख को नई एफआइआर दर्ज करने का आदेश देने, मुख्यमंत्री को भी आरोपी बनाने और पीडि़त परिवारों को आर्थिक मुआवजा दिलाने की मांग की।
जीके ने कहा मानवाधिकार की लड़ाई लडऩे वाले कार्यकर्ताओं के साथ हुई ज्यादती को भी याचिका का हिस्सा बनाया गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा की हत्या से संबंधित मामलों को भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन को यह बताना चाहिए कि आखिर किसके दबाव में उन्होंने सिखों की हत्या की बात को इतने वर्षों तक छिपाये रखा।
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उल्लेखनीय है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि 1990-91 में जिन सिखों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, उनकी दिसंबर 1992 में हत्या कर दी गई थी। इसके विरोध में उन्होंने चंद्रशेखर से बात तक करना बंद कर दी थी।