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Chandigarh Lok Sabha Seat: खुले शहर का वाहनों से घुटने लगा दम, सिग्नल पर दो मिनट रुकना जान पर आफत; कैसे निकले समाधान?

संकरी सड़कें प्रदूषण पार्किंग की समस्या ये वो मुद्दे हैं जिन्हें इलेक्शन (Chandigarh Election Issues) में प्रमुख मुद्दा बना लिया जाए तो कुछ गलत नहीं। शहर में प्रदूषण से हाल बेहाल हैं। ट्रैफिक सिग्नल पर दो मिनट रुकना भारी पड़ जाता है। ये हाल तब है जब लोगों के पास न घरों में वाहन पार्क करने की जगह है और बाहर जगह है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Thu, 09 May 2024 03:54 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2024 03:54 PM (IST)
Chandigarh Lok Sabha Seat: खुले शहर का वाहनों से घुटने लगा दम

बलवान करिवाल, चंडीगढ़। Chandigarh Lok Sabha Election 2024: पांच लाख आबादी के बसाया गया शहर अब कई समस्याओं का सामना कर रहा है। यहां आबादी से अधिक कार होने से अब इनकी घुटन महसूस होने लगी है। खुली सड़कें संकरी हो गई हैं, साफ हवा में वाहनों का जहरीला धुआं मिलने से ट्रैफिक सिग्नल पर दो मिनट रुकना भी आफत है।

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रोजाना 70 से अधिक नई कार सड़क पर उतर रही है। यह हाल तब है जब लोगों के पास न घरों में वाहन पार्क करने की जगह है और बाहर सड़क, खुले मैदान, पार्क सब कारों से घिरे हुए हैं। पार्किंग के नाम पर झगड़े आम हो गए हैं। हाल यह है कि पार्किंग स्पेस से आपसी सौहार्द बिगड़ रहा है।

सड़कें चौड़ी, खुला एरिया कम करने के बाद भी वाहनों को न तो पार्किंग मिल रही है और न ही पार्किंग में सुविधाएं। उल्टा पार्किंग को स्मार्ट बनाने के नाम पर आए कई कांट्रेक्टर अपनी जेब भरकर चले गए। फर्जी बैंक गारंटी थमा गए और पार्किंग फीस भी डकार कर निकल गए।

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अब चुनाव में भी पार्किंग की उपलब्धता, सुविधाएं और फर्जीवाड़ा बड़ा मुद्दा है। शहरवासी प्रत्याशियों से पिछला हिसाब मांगने के साथ आगे भी वोट के बदले पक्का आश्वासन चाहते हैं ताकि इस समस्या से निजात मिल सके। 2051 तक शहर की आबादी बढ़कर 22 से 25 लाख होने का अनुमान है। ऐसे में अभी नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी।

आपात वाहन भी फंसने लगे

सेक्टरों के रेजिडेंशियल एरिया में रोड के दोनों तरफ वाहन पार्क हो रहे हैं। अगर रात में आपात स्थिति में किसी को अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ती है तो कार निकालना मुश्किल होता है। सेक्टरों को तो छोड़िए मुख्य मार्गों पर भी वाहनों की भीड़ में एंबुलेंस और दूसरे आपात वाहन फंस रहे हैं।

अहम तथ्य...

  • 1000 लोगों पर 771 गाड़ियां, यह पूरे देश में सबसे अधिक
  • 89 पार्किंग स्थल में 22 हजार 275 कारों के लिए जगह
  • प्रत्येक वर्ष 40 हजार से अधिक नई कार हो रही पंजीकृत
  • चंडीगढ़ में कुल वाहनों की संख्या लगभग 15 लाख
  • चार हजार से अधिक सरकारी वाहन मौजूद
  • रोजाना लगभग 70 कार सड़क पर उतर रही

यह काम नहीं हुए, जिनसे मिलेगी राहत

  • पार्किंग पालिसी कई वर्ष पहले बनाई गई लेकिन यह लागू नहीं हो पाई। केवल कागज बनकर रह गई।
  •  सभी सेक्टरों में कम्युनिटी पार्किंग शुरू होनी थी। पीछे इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू भी हुआ लेकिन सफलता नहीं मिली। इसे सुधार के साथ दोबारा लागू करना होगा।
  • 50 या उससे अधिक स्टाफ वाले सरकारी व निजी दफ्तरों में कर्मचारियों के लिए स्टाफ बस सेवा अनिवार्य है। पार्किंग पालिसी में भी इसे शामिल किया गया। लेकिन प्रशासन ने खुद अपने विभागों में भी इसे लागू नहीं किया।
  • स्कूलों में बस और पूल से ही बच्चे आएं यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।
  • ऑफिस समय को भी आगे पीछे कर वाहनों को व्यवस्थित किया जा सकता है।
  • स्कूलों के समय को अलग-अलग करना था ताकि छुट्टी के समय जाम न लगे। यह हो न सका।
  •  300 किलोमीटर का साइकिल ट्रैक तो बना लेकिन अभी लोग निजी वाहन छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर करने की जरूरत है जिससे लोग निजी वाहन छोड़ इसका इस्तेमाल करें।
  • सेक्टर-17 की तर्ज पर शहर में कई मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जानी थी लेकिन आगे कोई नहीं बनी।

पार्किंग शहर की बहुत बड़ी समस्या है। स्मार्ट पार्किंग के नाम पर लोगों से धोखा होता रहा है। इस समस्या का स्थाई समाधान बेहद जरूरी है।

रेजिडेंशियल एरिया में पड़ोसी आपस में झगड़ रहे हैं। आपसी भाईचारा खत्म हो रहा है। वह चाहेंगे कि प्रत्याशी इस मुद्दे को अपनी वरीयता में रखें। वायदा करें की जीतने के बाद इस समस्या से निजात दिलाएंगे।

-कमलजीत सिंह पंछी, उपाध्यक्ष, नेशनल ह्यूमन राइट्स काउंसिल।

पहले चंडीगढ़ शहर अपने खुलेपन के लिए जाना जाता था। अब इस शहर में वाहनों की भीड़ है। इस शहर को उसके हाल पर छोड़ दिया गया। कड़े फैसले लेने की सख्त जरूरी है। पार्किंग समस्या से निजात के लिए पूरे शहर को लेकर प्लान बनाना जरूरी है।

सेक्टरों में कम्युनिटी पार्किंग और मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की जरूरत है। चुनाव में वायदा कर बाद में पूरा करना भी जरूरी है।

हरमन सिद्धू, संस्थापाक, अराइव सेफ संस्था।

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