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    एसवाइएल पर कैप्टन और मनोहर में तकरार, राजनाथ के सामने गरमा-गरमी

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sat, 13 May 2017 09:39 AM (IST)

    चंडीगढ़ में उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में एसवाइएल के मुद्दे पर हरियाणा व पंजाब के सीएम में तकरार हुई। हालात यह हो गए कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ...और पढ़ें

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    एसवाइएल पर कैप्टन और मनोहर में तकरार, राजनाथ के सामने गरमा-गरमी

    जेएनएन, चंडीगढ़। करीब दो साल बाद हुई उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में एसवाइएल नहर के मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा आपस में भिड़ पड़े। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में हरियाणा और पंजाब के धुरंधर नेताओं ने एक दूसरे को जमकर नसीहत दी। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच तनातनी यहां तक बढ़ गई कि केंद्रीय गृहमंत्री को हस्तक्षेप करते हुए इस मसले पर बातचीत करने का सुझाव देना पड़ा।

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    दो साल बाद हुई उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में पानी पर तकरार

    पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने यहां पानी की कमी का मुद्दा उठाते हुए हरियाणा को पानी देने से साफ इन्कार कर दिया। इस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल गरमा गए। उन्होंने कहा कि पानी की बात तो होती रहेगी, लेकिन पहले पंजाब को एसवाइएल नहर (चैनल) का निर्माण तो करना चाहिए। तनातनी इस कदर बढ़ गई कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री में बहस शुरू हो गई।

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     हरियाणा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला हक में आ चुका, लेकर रहेंगे अपने हिस्से का पानी

    एसवाइएल नहर पिछले साढ़े चार दशक से हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद का कारण रही है। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आ चुका तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हरियाणा के विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर एसवाइएल नहर का निर्माण कराने में सहयोग का दबाव बढ़ा दिया है। दोनों राज्यों के सीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर चुके हैं। हरियाणा इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के साथ राजनाथ सिंह से पहले ही मिल चुका है।

    पंजाब ने कहा, हमारे पास नहीं हरियाणा को देने के लिए पानी की एक भी बूंद

    उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में चर्चा के लिए 18 मुद्दे रखे गए थे, जिनमें से सात का मौके पर ही समाधान हो गया। एसवाइएल नहर निर्माण की बारी आई तो हरियाणा और पंजाब के बीच आस्तीनें तन गई। तकरार इतनी ज्यादा हो गई कि कैप्टन की तरफ से पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और हरियाणा की तरफ से कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ को मोर्चा संभालना पड़ा।

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    मनोहर बोले-पानी चाहिए, अमरिंदर ने कहा-नहीं है

    एसवाइएल का मुद्दा उठते ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में है, लिहाजा हम पानी लेकर रहेंगे। इस पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने राज्य के पास पानी नहीं होने की बात कहते हुए मनोहर लाल के दावे को खारिज कर दिया।

    मनप्रीत बोले धमकाने से नहीं देंगे पानी, धनखड़ ने कहा-बड़े मन से दे दो

    एसवाइएल पर गरमागरमी के बीच पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने उठकर कहा कि धमकाने से पानी नहीं मिलने वाला है। प्यार से चाहे हमारी जान भी ले लो। इस पर पलटवार करते हुए हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि प्यार से और बड़े मन से ही पानी दे दो।

    पहले चैनल तो बनने दो, पानी बाद में आ जाएगा

    कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि जिस समय जल समझौता हुआ था उस समय हालात अलग थे। आज की तारीख में पंजाब के पास सरप्लस पानी नहीं है। मनोहर लाल ने इसके जवाब में कहा कि पहले चैनल तो बनने दो, पानी तो बाद में आ जाएगा।

    पंजाब ने माइक्रो पावर प्रोजेक्ट का मुद्दा उठाया तो बिगड़ी बात

    बैठक में भाखड़ा मेन लाइन में पंजाब की ओर से 27 माइक्रो पावर प्रोजेक्ट लगाने की बात पर भी माहौल गरम हो गया। हरियाणा ने तर्क दिया कि इससे पानी में कमी आएगी और वर्तमान में जो पानी हरियाणा को मिल रहा है वह प्रभावित होगा। अगर ये प्रोजेक्ट बनने भी हैं तो वह बीबीएमबी बनाए। हरियाणा को इस समय पंजाब से 60 लाख एकड़ फीट पानी मिल रहा है। यह पानी नरवाना ब्रांच से ले रहे हैं, क्योंकि भाखड़ा मेन लाइन की इतनी क्षमता नहीं है। हरियाणा का कहनाकि उसे अपने हिस्से में 79 लाख एकड़ फीट पानी मिलना चाहिए। 19 लाख एकड़ फीट पानी एसवाइएल नहर के माध्यम से लेने के लिए लड़ाई चल रही है।

    पंजाब और हरियाणा के बीच 60:40 की पेशकश का विरोध

    पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बिल्कुल नई पेशकश करते हुए कहा कि जिस तरह राजधानी चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा का हिस्सा 60 और 40 का अनुपात निश्चित किया हुआ है, उसी तरह पंजाब और हरियाणा के कुल पानी का आकलन कर लिया जाए और उसे दोनों राज्यों के बीच 60 और 40 के अनुपात में ही बांट दिया जाए।

    कैप्टन अमरिंदर सिंह की सलाह पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कड़ा एतराज जताते हुए यहां तक कह दिया कि राज्य सरकार हर मुद्दे के सौहार्दपूर्ण समाधान की पक्षधर है, लेकिन अतीत में किए समझौतों का सम्मान होना चाहिए।