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रोक के बावजूद हाईवे पर 185 शराब ठेके, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

-पंजाब, हरियाणा व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नोटिस -पानीपत-जालंधर के बीच 291

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Nov 2017 07:53 PM (IST)Updated: Fri, 24 Nov 2017 07:53 PM (IST)
रोक के बावजूद हाईवे पर 185 शराब ठेके, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

-पंजाब, हरियाणा व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नोटिस

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-पानीपत-जालंधर के बीच 291 किमी हाईवे पर अब भी खुले हैं ठेके

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दयानंद शर्मा, चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष सभी नेशनल व स्टेट हाईवे के किनारे 500 मीटर के दायरे में शराब के ठेके खोले जाने पर पाबंदी लगाई थी। इसके बावजूद पंजाब व हरियाणा में बड़ी संख्या में नेशनल हाईवे के किनारे ठेके चल रहे हैं। इतना ही नहीं, इनके बाहर बड़े-बड़े विज्ञापन व लाइटें भी लगाई गई हैं। इसके खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब व हरियाणा सरकार सहित नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) को नोटिस जारी कर 4 दिसंबर तक जवाब तलब किया है।

जस्टिस अजय कुमार मित्तल एवं जस्टिस अमित रावल की खंडपीठ ने यह नोटिस 'अराइव सेफ' संस्था के अध्यक्ष हरमन सिद्धू की ओर से दायर जनहित याचिका पर जारी किया है। याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए थे कि वर्ष 2017-18 की एक्साइज पॉलिसी में ऐसा प्रावधान बनाया जाए, जिसके तहत नेशनल व स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में ठेके के लाइसेंस न दिए जाएं। इन ठेकों पर कोई साइन बोर्ड, विज्ञापन व लाइट न लगाई जाए। इसके बावजूद इनके बाहर फैंसी लाइट व विज्ञापन लगाए गए हैं। याचिकाकर्ता ने ऐसे ठेकों के फोटो भी दिखाए। उन्होंने बताया कि पानीपत से जालंधर के बीच की दूरी 291 किलोमीटर हैं, लेकिन इस हाईवे पर दुर्घटना से निपटने के लिए ट्रॉमा सेंटर काफी कम हैं, जबकि शराब की 185 दुकान हैं।

पंजाब में 116 फीसद बढ़ी मौतें, हरियाणा में कमी

पंजाब ने अपनी एक्साइज पॉलिसी में संशोधन किया, ताकि नगर निगम की सीमाओं से गुजरने वाले राजमार्गो पर शराब की बिक्री की अनुमति दी जा सके। लिहाजा यहां 2016 में 91 मौतों की अपेक्षा बढ़कर 197 मौत हो गई हैं, जो 116 फीसद की बढ़ोतरी दिखा रहा है। पंजाब सरकार ने राजमार्गो पर शराब की बिक्री के लिए उन्हें डी-नोटिफाई तक कर दिया। हरियाणा में 2016 में शराब पीकर वाहन चलाने से हुई 478 मौतों की अपेक्षा अब यह आंकड़ा 165 ही रह गया है। यह 65 फीसद से अधिक कम है। बिहार में भी कमी आई है।


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