नशा मुक्ति केंद्रों की कमी पर हाईकोर्ट की राज्य सरकारों को खरी-खरी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा में नशे के बढ़ते मामलों व नशा मुक्ति केंद्रों की कम होती संख्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए दोनों राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि नशेड़ियों को नशामुक्ति केंद्रों तक पहुंचाने में आंगनबाड़ी वर्करों
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा में नशे के बढ़ते मामलों व नशा मुक्ति केंद्रों की कम होती संख्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए दोनों राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि नशेड़ियों को नशामुक्ति केंद्रों तक पहुंचाने में आंगनबाड़ी वर्करों की मदद ली जाए।
इसके लिए उन्हें एक निश्चित राशि का भुगतान किया जाए। यदि आंगनबाड़ी वर्कर ऐसा नहीं करते तो उनका वेतन रोक दिया जाए। हाई कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि जिम्मेदार विभाग भी नशे के आदी लोगों को केंद्रों तक नहीं ला पाते हैं हाई कोर्ट आदेश जारी कर उनका वेतन रोक देगा।
जस्टिस राजीव भल्ला पर आधारित खंडपीठ ने नशे के आदी लोगों के नशामुक्ति केंद्र तक न पहुंचने और राज्य में बंद होते निजी नशामुक्ति केंद्रों के मामले में हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस राजीव भल्ला ने इस हरियाणा के हलफनामे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह हलफनामा यह दर्शाता है कि समाज कल्याण विभाग केवल डाकखाने का काम कर रहा है जो सिफारिशों को यहां से वहां पहुंचाने में जुटा हुआ है।
हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य में लगातार नशामुक्ति केंद्र बंद हो रहे हैं। निजी केंद्र वह कार्य कर रहे हैं जो सरकार को करना चाहिए। सरकार अपना काम उनसे करवाने के बावजूद उन्हें सही तरीके से फंड मुहैया नहीं करवा रही है जिसके चलते वे बंद हो रहे हैं।
हाई कोर्ट ने फंड जारी न करने पर केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के तहत आने वाले नशामुक्ति केंद्रों के कर्मचारियों व अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि वह अपने एसी कमरों से बाहर निकलकर स्लम और ऐसे इलाकों में जाएं जहां नशे के आदी लोग मौजूद हैं और उन्हें इन केंद्रों तक लेकर आएं।
बेंच ने राज्य सरकारों व नेताओं को नशे के नाम पर कार्यक्रम आयोजित करने व महंगे पीआर की सेवा लेकर बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि नशे के विरोध में बड़े कार्यक्रम न कर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
आयुर्वेद में नशे की लत छुड़ाने का उपाय तलाशने का सुझाव :
हाई कोर्ट ने सुझाव दिया कि क्यों नहीं आयुर्वेद में नशा छुड़ाने का उपाय तलाश किया जाता है। इस पर हरियाणा की ओर से मौजूद काउंसिल ने कहा कि वे इस बारे में विचार करेंगे। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि इससे केंद्र से ग्रांट मिलने की संभावना भी बढ़ जाएगी।सिफारिशों को यहां से वहां पहुंचाने में जुटा हुआ है।
हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य में लगातार नशामुक्ति केंद्र बंद हो रहे हैं। निजी केंद्र वह कार्य कर रहे हैं जो सरकार को करना चाहिए। सरकार अपना काम उनसे करवाने के बावजूद उन्हें सही तरीके से फंड मुहैया नहीं करवा रही है जिसके चलते वे बंद हो रहे हैं।
हाई कोर्ट ने फंड जारी न करने पर केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के तहत आने वाले नशामुक्ति केंद्रों के कर्मचारियों व अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि वह अपने एसी कमरों से बाहर निकलकर स्लम और ऐसे इलाकों में जाएं जहां नशे के आदी लोग मौजूद हैं और उन्हें इन केंद्रों तक लेकर आएं।
बेंच ने राज्य सरकारों व नेताओं को नशे के नाम पर कार्यक्रम आयोजित करने व महंगे पीआर की सेवा लेकर बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि नशे के विरोध में बड़े कार्यक्रम न कर जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें- स्मार्ट सिटी का ख्वाब, कैसे पूरा होगा 'जनाब'
यह भी पढ़ें- अवैध शराब का धंधा करने वाले पांच गिरफ्तार