बेहद पसंद था स्कूल जाना- तनिष्ठा चटर्जी
तनिष्ठा की प्रतिष्ठा हिंदुस्तानी से ज्यादा विदेशी फिल्मों को लेकर है। उन्होंने ‘ब्रिक लेन’और ‘आईलैंड सिटी’ में कमाल का काम किया था।
हिंदी सिनेमा में कई कलाकारों ने उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद अभिनय में दस्तक दी। उस फेहरिस्त में तनिष्ठा चटर्जी भी शामिल हैं। केमिस्ट्री से लगाव के कारण उन्होंने इसमें स्नातक किया और आगे चलकर एक्टिंग को प्रोफेशन बनाया। तनिष्ठा की प्रतिष्ठा हिंदुस्तानी से ज्यादा विदेशी फिल्मों को लेकर है। उन्होंने ‘ब्रिक लेन’और ‘आईलैंड सिटी’ में कमाल का काम किया था। उनकी कई फिल्में एक साथ वेनिस व टोरंटो फिल्म फेस्टिवल की शान रही हैं। पिछले साल रिलीज ‘पाच्र्ड’ में भी उनका काम सराहा गया। बीते दिनों रिलीज हॉलीवुड फिल्म ‘लायन’ में भी छोटी, किंतु महत्वपूर्ण भूमिका में दिखी थीं। वह बताती हैं,‘बचपन में मुझे स्कूल जाना बेहद पसंद था। मेधावी छात्रा थी। पढ़ाई को लेकर शायद ही कभी माता-पिता की डांट पड़ी हो।
बचपन में मैंने कुछ साल ऑस्ट्रेलिया में बिताए। वहां से वापस आने पर यहां के स्कूल में मेरे कुछ पल्ले नहीं पड़ता था। क्योंकि भारत में पढ़ाई का स्तर ऑस्ट्रेलिया के मुकाबले काफी ऊंचा था। तब मैं पांचवीं कक्षा में थी। यहां की पढ़ाई समझने में दो साल लग गए। हालांकि उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। केमिस्ट्री मेरा पसंदीदा विषय रहा है। यही वजह रही कि मैंने उसमें स्नातक किया। मैं क्लासिकल म्यूजिक में भी प्रशिक्षित हूं। ठुमरी और दादरा सीखा है। फिल्मों में गाया भी है। पहले सोचा नहीं था कि एक्टिंग करनी है। बचपन में बहुत शरारतें करती थी। जिस काम को करने से रोका जाता,वह जरूर करती। एक वाकया बताना चाहूंगी। तब हम छुट्टियों में दादी के पास जाते थे। वहां आभा नामक लड़की काम करती थी। वह ब्लेड से पेंसिल छीलती थी, जबकि मैं शार्पनर से। मुझे ब्लेड से छीलते देखना भाता था। एक दिन मैंने उसके पेंसिल बॉक्स से ब्लेड चुराकर पेंसिल छीलने की कोशिश की, वह मेरी जांघ में जा लगा। मैंने दर्द सहते हुए खुद से ही उसे निकाला। मुझे डॉक्टर के पास ले जाया गया। आज भी उसके निशान कायम हैं।
-स्मिता श्रीवास्तव
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