ट्रेन चालक को रात में भी दिखेगी उखड़ी पटरी
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर
अब शरारती तत्व रेल पटरियों को उखाड़कर ट्रेन हादसों को अंजाम नहीं दे सकेंगे। यह संभव हुआ है पूर्वी तट रेलवे की विशाखापट्टनम वर्कशॉप में बनी फोन बीम इंजन हेडलाइट की बदौलत। नीचे, ऊपर और अगल-बगल के 10 किलोमीटर तक तेज प्रकाश फेंकने वाली इस हेडलाइट की रोशनी में चालक रात में भी उखड़ी पटरी देखकर पहले ही ट्रेन रोक लेगा। विशेष घुमावदार वाले मोड़ों पर पटरियों की समुचित दृश्यता सुनिश्चित करने के लिए पूर्व तट रेलवे की ओर से इंजनों के लिए फोर बीम हेडलाइट की अभिकल्पना तथा विकास किया गया। भारतीय रेल में इसका उपयोग पहली बार किया जा रहा है।
अब तक भारतीय रेल के इंजनों में टू बीम हेडलाइट का उपयोग किया जाता रहा है। इस नई तकनीक वाली फोर बीम हेडलाइट की अभिकल्पना तथा विकास पूर्व तट रेलवे के विशाखापट्टनम स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में किया गया है। इस हेडलाइट में रोशनी के लिए लगे बल्बों को इस प्रकार संयोजित किया गया है कि ऊपर के दोनों बल्ब सीधी दिशा में रोशनी फैलाएंगे जबकि नीचे लगे दो बल्ब पटरियों के दोनों तरफ के इलाकों को भी रोशन करेंगे। फोर बीम हेडलाइट से लैस इंजिन जब घुमावदार पटरियों से गुजरते हैं तो नीचे के दोनों बल्ब पटरियों को रोशन करते हैं। इससे ट्रेन चालक को पटरियों की स्थिति, शरारती तत्वों द्वारा पटरी को पहुंचाए गए नुकसान या पटरी पर अचानक किसी जानवर के आ जाने का पता और स्पष्ट तरीके से चल जाता है। इससे ट्रेन चालक समय रहते ट्रेन की गति को कम करने में सक्षम हो पाता है। हाल के दिनों में शरारती तत्वों द्वरा ट्रेन पटरियों को नुकसान पहुंचाने की घटना या घुमावदार स्थलों पर समपार स्थल सहित अन्य स्थिति में बेहतर दृश्यता के लिए इस नव-निर्मित हेडलाइट का महत्व और बढ़ जाता है। मंचेश्वर कार्यशाला इसी वर्ष दिसम्बर माह में अपनी स्थापना के 30 साल पूरे कर रहा है। इस दौरान कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
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