अमेरिकी कोर्ट ने सोनिया गांधी के खिलाफ मुकदमा खारिज किया
1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित सोनिया गांधी के खिलाफ याचिका को एक अपीलीय कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में जिला अदालत के मुकदमा खारिज करने के आदेश की पुष्टि कर दी।
न्यूयार्क। 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित सोनिया गांधी के खिलाफ याचिका को एक अपीलीय कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में जिला अदालत के मुकदमा खारिज करने के आदेश की पुष्टि कर दी।
अमेरिका के अपील कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की समिति ने फैसला सुनाया कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने सोनिया गांधी के खिलाफ जो दलीलें पेश की हैं, उनमें कोई दम नहीं है। जज जोस कैब्रानेस, रेना रैग्गी और रिचर्ड वेस्ले की समिति ने नौ जून 2014 को दिए गए जिला अदालत के आदेश को सही ठहराया। जिला अदालत के न्यायाधीश ने सोनिया गांधी के खिलाफ एसएफजे की तरफ से दायर मानवाधिकार उल्लंघन का मुकदमा खारिज कर दिया था। अमेरिकी जिला जज ब्रायन कोगन ने मामले के अधिकार क्षेत्र में नहीं आने के कारण शिकायत को खारिज करने संबंधी सोनिया गांधी का निवेदन स्वीकार कर लिया था।
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मामला अधिकार क्षेत्र से बाहर
अपील कोर्ट ने मंगलवार को यहां जारी अपने आदेश में कहा कि अच्छी तरह विचार करने के बाद यह आदेश दिया जाता है, यह घोषित किया जाता है और यह फैसला सुनाया जाता है कि जिला अदालत के निर्णय को बरकरार रखा गया है। कोर्ट ने कहा कि जिला अदालत ने मामले को अधिकार क्षेत्र के दायरे से बाहर बताया था क्योंकि संबंधित घटनाएं अमेरिका से बाहर भारत में हुई थीं। जिला अदालत का यह कहना भी सही था कि यातना शिकार संरक्षण कानून (टीवीपीए) के तहत एसएफजे का दावा दूसरे लोगों के लिए मुकदमे का आधार नहीं बनता है। पीठ ने कहा कि एसएफजे यह साबित नहीं कर पाया कि सोनिया गांधी सिख विरोधी दंगों के लिए जिम्मेदार हैं।
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कांग्रेस नेताओं को बचाने का आरोप
उल्लेखनीय है कि 2013 में सिख मानवाधिकार संगठन एसएफजे ने सोनिया गांधी के खिलाफ दंगे के दौरान हिंसा में शामिल रहे कांग्रेस नेताओं को बचाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। सोनिया गांधी ने वकील रवि बत्रा ने अपील कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि जजों ने एक राष्ट्र की संप्रभुता कायम रखी है। एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नुन ने कहा कि संगठन अपील कोर्ट के आदेश को 14 दिनों के भीतर चुनौती देगा।