भारत ने कहा- अपनी दुनिया को बेपर्दा करे सुरक्षा परिषद
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की गोपनीय कार्यप्रणाली और कामकाज के तरीकों मे पारदर्शिता को लेकर भारत ने उसकी आलोचना की।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र : भारत ने गोपनीय कार्य प्रणाली और कामकाज के तरीकों में पारदर्शिता के अभाव को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आलोचना की है। परिषद की रहस्यमयी दुनिया से पर्दा उठाने की मांग करते हुए कहा है कि 'नाम न बताने की शर्त और सर्वसम्मति' वाले नियमों के कारण इसके सदस्य जवाबदेही से बच जाते हैं। अप्रैल में इन्हीं खामियों का फायदा उठाते हुए चीन ने पाकिस्तान में रह रहे आतंकी मसूद अजहर पर भारत के प्रस्ताव का वीटो कर दिया था।
भारत ने पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के मास्टरमाइंड पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने मंगलवार को कहा परिषद की रहस्यमयी दुनिया में जो प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं उनमें बदलाव की जरूरत है। उनका आशय उन 26 प्रतिबंध प्रणालियों को लेकर था जो परिषद की ओर से कार्य करती है। वे 'कामकाजी प्रणालियों' पर सुरक्षा परिषद के सत्र को संबोधित कर रहे थे।
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अकबरूद्दीन ने कहा कि ये 26 प्रतिबंध प्रणालियां हर साल संयुक्त रूप से एक हजार फैसले लेती हैं। लेकिन, इनके बारे में न तो सदस्य देशों को और न ही मीडिया को कोई जानकारी दी जाती है। सदस्य किस प्रकार मतदान करते हैं और उनकी किसी मसले पर क्या स्थिति होती है इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती। उन्होंने कहा कि औपचारिक बैठकों या अनौपचारिक परामर्श के मुकाबले कहीं अधिक फैसले परिषद की बैठकों में लिए जाते हैं। ऐसे में इसकी रहस्यमयी दुनिया में पारदर्शिता लाने का प्रयास नहीं किया जाना समझ से परे है।
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उन्होंने कहा,'ऐसा क्यों होता है कि इस रहस्यमयी दुनिया के सकारात्मक फैसलों के बारे में हमें आसानी से बता दिया जाता है। लेकिन, प्रस्तावों को अस्वीकार करने जैसे नकारात्मक फैसलों के बारे में कुछ नहीं बताया जाता। प्रतिबंध प्रणाली में सूचीबद्ध करने के अनुरोध को स्वीकार करने का न तो कोई कारण बताया जाता है और न ही अस्वीकृत किए गए आवेदन सार्वजनिक तौर पर सामने आ पाते हैं।'