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भारत-ईरान-अफगान गठजोड़ से पाक की उड़ी नींद

भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हुए चाबहार बंदरगाह समझौते से पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञों ने इसे आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।

By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Tue, 31 May 2016 07:34 PM (IST)
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इस्लामाबाद, प्रेट्र । भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हुए चाबहार बंदरगाह समझौते से पाकिस्तान की नींद उड़ गई है। पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञों ने इसे आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। साथ ही कहा है कि इन तीनों देशों के साथ आने से पाकिस्तान के सामने अलग-थलग पड़ने का खतरा है।

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इस समझौते पर चिंता जताने वालों में पाकिस्तानी सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ यासीन मलिक और लेफ्टिनेंट जनरल नदीम लोधी भी हैं। दोनों देश के रक्षा सचिव भी रह चुके हैं। वे स्थानीय विचार समूह स्ट्रैटजिक विजन इंस्टीट्यूट की ओर से सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा और दक्षिण एशिया में स्थिरता विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। डॉन के अनुसार दोनों की टिप्पणी इस समझौते को लेकर सेना के रूख को प्रतिबिंबित करती है।

मलिक ने कहा,'भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच का गठबंधन पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए खतरा है। स्थानीय और वैश्रि्वक हालात को देखते हुए मुझे लगता है कि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता जा रहा है। इसके पीछे की वजह एक तरफ जहां पाकिस्तान की खुद की गलतियां हैं, वहीं दूसरी तरफ दूसरे देशों की प्रतिकूल नीतियां हैं।' उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय की निष्कि्रयता और पूर्णकालिक विदेश मंत्री का नहीं होना इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल लोधी ने भी ऐसी ही आशंका जताई। उन्होंने कहा कि पड़ोस में इस तरह का गठबंधन काफी खतरनाक है और इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। इससे आर्थिक एकीकरण, आंतरिक सुरक्षा की बहाली और सीमा पर शांति संबंधी पाकिस्तान की योजनाओं पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, 'हमें अपने दोस्तों और कूटनीतिक तरीके से खुद को घेरने वाले इस गठबंधन से बाहर निकलना होगा।' लोधी ने इसका असर चीन-पाक आर्थिक गलियारे पर पड़ने की भी आशंका जताई। साथ ही उम्मीद जताई कि पाकिस्तान की चिंताओं को ईरान समझ सकता है। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ एयरफोर्स पाकिस्तान के रजिस्ट्रार गुलाम मुजादिद ने सरकार को रणनीतिक रूप से दूरदर्शिता दिखाने की सलाह दी है।

गौरतलब है कि चाबहार परियोजना के पूरा होते ही पाकिस्तान किनारे लग जाएगा। भारत को इस ईरानी बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान तक पहुंचने का सीधा रास्ता मिल जाएगा। साथ ही मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप तक उसकी पहुंच हो जाएगी। फिलहाल भारतीय चीजें पाकिस्तान के जरिये अफगानिस्तान तक पहुंचती हैं। इससे पाकिस्तान पर रणनीतिक और राजनीतिक दबाव बनेगा। यही कारण है कि चाबहार समझौते के बाद उसने अपने ग्वादर बंदरगाह को ईरानी बंदरगाह से जोड़ने के संकेत दिए थे।

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