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नवाज पर चौतरफा दबाव, राजनीतिक- कट्टरपंथी संगठन करेंगे प्रदर्शन

पीओके में भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद नवाज शरीफ पर दबाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने उनके खिलाफ अभियान चलाने का फैसला किया है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 19 Oct 2016 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 19 Oct 2016 01:21 PM (IST)

इस्लामाबाद(जेएनएन)। पीओके में भारतीय सेना के सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद नवाज शरीफ चौतरफा निशाने पर हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान ने कहा कि उनकी पार्टी ऑक्यूपाइ इस्लामाबाद के नाम से शरीफ के खिलाफ अभियान चलाएगी।इसके अलावा शरीफ बंधुओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ 2 नवंबर को इस्लामाबाद में बड़ी रैली होगी। इमरान खान ने कहा कि पनामा पेपर लीक में नवाज का नाम आने से पाकिस्तान की बेइज्जती हुई है। उनकी पार्टी तब तक शरीफ के खिलाफ अभियान चलाएगी जब तक वो गद्दी से उतर नहीं जाते हैं।

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नवाज के खिलाफ कट्टरपंथी संगठन

नवाज शरीफ के खिलाफ इमरान द्वारा बिगुल फूंकने के बाद कट्टरपंथी संगठनों की एक संस्था दीफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल(DPC) ने नवाज को घेरने का फैसला किया है। काउंसिल की अगुवाई करने वाले जमात-उद -दावा के सरगना हाफिज सईद ने कहा कि सरकार के खिलाफ डीपीसी 27-28 अक्टूबर को इस्लामाबाद और मुजफ्फराबाद में रैली करेगा।

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डीपीसी की इस घोषणा के बाद पाक के डॉन अखबार में छपी उस खबर को बल मिला है जिसमें ये बताया गया था कि पाकिस्तान की सरकारी नीति को कट्टरपंथी संगठन किस तरह से प्रभावित करते हैं। इसके अलावा इस खबर की भी पुष्टि हुई है,जिसमें नवाज सरकार ने सेना से कहा था कि कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम न लगने की वजह से पाकिस्तान विश्व में अलग-थलग पड़ चुका है।

'पाक की संप्रभुता सबसे ऊपर'

जमात उद दावा के प्रवक्ता अल खुर्शीद ने कहा कि उसका संगठन रैली करने के लिए इस्लामाबाद जिला प्रशासन से इजाजत लेगा। खुर्शीद ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है सरकार की तरफ से रैली को रद करने या टालने के लिए कहा गया हो। डीपीसी से जुड़े अहले सुन्नत वल जमात के मुखिया मौलाना अहमद लुधियानवी ने कहा कि पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करना हर एक पाकिस्तानी का फर्ज है, और ऐसा करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।

लुधियानवी ने कहा कि एबटाबाद में सील कमांडों के आपरेशन में लादेन के मारे जाने के बाद से ही उसके संगठन ने सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू किया। जब देश के सामने बाहरी मुल्कों से खतरा हो उस वक्त धार्मिक संगठनों को सेना के साथ रहना ही चाहिए।

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