Move to Jagran APP

कश्मीर मुद्दे पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान

पाकिस्तान भले ही कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उछालने की कोशिश करता रहा हो, लेकिन अब खुद पाकिस्तान की तरफ से ही इस मुद्दे को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने की बातें उठने लगी है। अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व राजदूत ने कहा है कि पाकिस्तान

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 11:12 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 11:24 AM (IST)
कश्मीर मुद्दे पर अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान

वाशिंगटन। पाकिस्तान भले ही कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उछालने की कोशिश करता रहा हो, लेकिन अब खुद पाकिस्तान की तरफ से ही इस मुद्दे को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने की बातें उठने लगी है। अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व राजदूत ने कहा है कि पाकिस्तान को अब कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल नहीं है और उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से क्षेत्र में जनमत संग्रह कराने की मंजूरी मिलने की संभावना भी नहीं है।

loksabha election banner

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान में एक भावनात्मक मुद्दा है। उसके नेता अपने लोगों को यह बताने में असफल रहे हैं कि पाकिस्तान को इस मुद्दे पर अब अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल नहीं है।


हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण एवं मध्य एशिया के मौजूदा निदेशक हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान वर्षों से इस बात के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांग रहा है कि कश्मीर के भविष्य संबंधी विवाद को भारत के साथ वार्ता के जरिए सुलझाया जाए और कश्मीरी लोगों के बीच जनमत संग्रह कराया जाए।

उन्होंने कहा कि भारत इस विवाद पर तब तक बात भी नहीं करना चाहता, जब तक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद समाप्त नहीं हो जाता।

हक्कानी ने अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर एक लेख में लिखा कि अधिकतर पाकिस्तानी यह नहीं जानते हैं कि कश्मीर के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आखिरी प्रस्ताव 1957 में पारित हुआ था और यदि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में नए मतदान की बात करता है तो वह कश्मीर में जनमत संग्रह के लिए आज समर्थन हासिल नहीं कर सकता।


राजदूत के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान शक्तिशाली सेना के साथ टकराव की स्थिति में रहे हक्कानी ने कहा कि यह स्वीकार करने के बजाए कि व्यापार बढाकर और सीमा पार यात्रा के जरिए संबंधों को सामान्य करना बेहतर होगा, पाकिस्तानी कट्टरपंथी पहले कश्मीर के मंत्र पर अटके हुए हैं जो कि अवास्तविक है। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर रुख पाकिस्तान को कहीं नहीं लेकर जाएगा लेकिन इसके नेताओं को लगता हैं कि उन्हें अपने देश में इस्लामियों और सेना का समर्थन हासिल करने के लिए इस रुख पर बने रहना होगा।


हक्कानी के अनुसार भारत में कट्टरपंथी 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों जैसे जिहादियों के लिए पाकिस्तान के समर्थन को लेकर भारतीयों की कुंठा का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बात को समझे बिना कि पाकिस्तान को सबक सिखाने को लेकर केवल बातें होती हैं कि परमाणु हथियारों से सम्पन्न राष्ट्र को सैन्य सबक सिखाना कभी आसान नहीं होता। भारतीय उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिकियों की कुंठा से सबक ले सकते हैं।

हक्कानी ने लिखा है कि भारत-पाक के लिए कारोबार बढ़ाकर रिश्ते सामान्य करने चाहिए। लेकिन पाकिस्तानी कट्टरपंथी 'कश्मीर पहले' के मसले पर अटक गए हैं और वो जानते हैं कि ये कभी सच होने वाला नहीं है।

मोदी शासन का मुरीद हुआ गुलाम कश्मीर, भारत में हाेना चाहता है शामिल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.