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    स्टील व्यापारी से कुछ ऐसे पीएम बन गए नवाज शरीफ

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    Updated: Mon, 13 May 2013 08:23 AM (IST)

    पाकिस्तान के सियासी गलियारों में बदलवा के बयार से 66 साल के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन सबसे बड़ी पार्टी उभर कर सामने आई है। इस जीत से शरीफ को तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया। इससे पहले शरीफ दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

    नई दिल्ली। पाकिस्तान के सियासी गलियारों में बदलवा के बयार से 66 साल के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन सबसे बड़ी पार्टी उभर कर सामने आई है। इस जीत से शरीफ को तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया। इससे पहले शरीफ दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। पिछली बार परवेज मुशर्रफ ने उनका तख्ता पलट किया था। तब उन्हें फांसी तक दी जाने वाली थी। लेकिन अमेरिका ने उन्हें बचा लिया।

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    पाकिस्तान में तीसरी बार प्रधानमंत्री का ताज पहनने जा रहे नवाज शरीफ का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक धनी परिवार में 25 जनवरी 1949 को हुआ था। लाहौर के सरकारी कालेज से स्नातक व पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल करने वाले शरीफ का निजी जीवन व राजनीतिक जीवन बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा।

    नवाज शरीफ का परिवार स्टील के व्यापार से जुड़ा था। तत्कालिन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टों ने 1976 में शरीफ परिवार के स्टील कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इस घटना की बदला लेने के लिए वे पाकिस्तान मुस्लिम लीग की सदस्यता ग्रहण की। शरीफ को दो बेटे और एक बेटी हैं।

    1980 के दशक में पाकिस्तान के पंजाब में गुलाम जिलानी खान गवर्नर थे। जिलानी को एक युवा चेहरे की तलाश थी। इस दौरान जिलानी खान ने शरीफ को वित्त मंत्री का पद दिया। अगले साल 1981 में उन्हे जिया उल हक के सलाहकार बोर्ड में शामिल किया गया।

    राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक की एक विमान हादसे में हुई मौत के बाद शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग [पीएमएल] फिदा समूह और जुनेजो समूह में बंट गई। जुनेजों समूह का नेतृत्व मोहम्मद खान जुनेजो के हाथ में था।

    इन दोनों समूहों ने 1989 के आम चुनाव में बेनज़ीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी [पीपीपी] से दो दो हाथ करने के लिए सात पार्टियों के साथ गठबंधन कर इस्लामी जम्हूरी इत्तेहाद [आईजेआई] के नाम से एक मोर्चा बनाया। इस मोर्चा का नेतृत्व गुलाम मुस्तफा जटोई और नवाज शरीफ के हाथ में था। गठबंधन ने चुनाव में बहुमत हसिल किया। इस दौरान नवाज शरीफ पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री बने।

    इसके बाद पाकिस्तान में सियासी रुख ने करवट ली और 1990 में शरीफ प्रधानमंत्री के कुर्सी तक पहुंच गए। शरीफ दो बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। साल 1990 से 1993 तक और 1997 से 1999 तक।

    नवाज शरीफ ने देश के बेहतरी के लिए कई सुधार किए। इस दौरान उनका सेना व न्यायपालिका के साथ टकराव होता रहा। तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ ने 12 अक्टूबर 1999 को उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया। उन्हें जेल भी जाना पडा और साथ ही देश से निर्वासित कर दिया गया। इस जीत से दोबारा उनकी शानदार वापसी हुई है।

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